अपडेटेड 14 August 2025 at 11:12 IST
Shri Krishna Janmashtami Stotra 2025: जन्माष्टमी के दिन जरूर करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, करियर में आ रही बाधाएं हो सकती है दूर
Shri Krishna Janmashtami Stotra 2025:हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विशेष विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कान्हा के बाल स्वरूप की पूजा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। अब ऐसे में इस दिन एक ऐसा स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से करियर में आ रही बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Shri Krishna Janmashtami Stotra 2025: सनातन धर्म में जन्माष्टमी का व्रत हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विधिवत रूप से करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। साथ ही जीवन में आ रही सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। आपको बता दें, इस साल जन्माष्टमी का व्रत 16 अगस्त 2025 को रखा जाएगा।
अब ऐसे में जो भक्त इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना कर रहे है। उन्हें एक ऐसा स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से लाभ हो सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
जन्माष्टमी के दिन करें अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् का पाठ
अगर आपके करियर में किसी तरह की कोई समस्या आ रही है तो इस दिन अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् जरूर करें। ऐसी मान्यता है कि इससे उत्तम परिणाम मिल सकते हैं और भाग्योदय हो सकता है।
ॐ श्रीकृष्णः कमलानाथो वासुदेवः सनातनः।
वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः॥1॥
श्रीवत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः।
चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशङ्खाम्बुजायुधः॥2॥
देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः।
यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः॥3॥
पूतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः।
नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः॥4॥
नवनीतनवाहारी मुचुकुन्दप्रसादकः।
षोडशस्त्रीसहस्रेशस्त्रिभङ्गो मधुराकृतिः॥5॥
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शुकवागमृताब्धीन्दुर्गोविन्दो गोविदाम्पतिः।
वत्सपालनसञ्चारी धेनुकासुरभञ्जनः॥6॥
तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः।
उत्तालतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः॥7॥
गोपगोपीश्वरो योगी सूर्यकोटिसमप्रभः।
इलापतिः परंज्योतिर्यादवेन्द्रो यदूद्वहः॥8॥
वनमाली पीतवासाः पारिजातापहारकः।
गोवर्धनाचलोद्धर्ता गोपालः सर्वपालकः॥9॥
अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः।
मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली॥10॥
वृन्दावनान्तसञ्चारी तुलसीदामभूषणः।
स्यमन्तकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः॥11॥
कुब्जाकृष्णाम्बरधरो मायी परमपूरुषः।
मुष्टिकासुरचाणूरमहायुद्धविशारदः॥12॥
संसारवैरी कंसारिर्मुरारिर्नरकान्तकः।
अनादिर्ब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्षकः॥13॥
शिशुपालशिरच्छेत्ता दुर्योधनकुलान्तकृत्।
विदुराक्रूरवरदो विश्वरूपप्रदर्शकः॥14॥
सत्यवाक् सत्यसङ्कल्पः सत्यभामारतो जयी।
सुभद्रापूर्वजो विष्णुर्भीष्ममुक्तिप्रदायकः॥15॥
जगद्गुरुर्जगन्नाथो वेणुवाद्यविशारदः।
वृषभासुरविध्वंसी बकारिर्बाणबाहुकृत्॥16॥
युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः।
पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः॥17॥
कालीयफणिमाणिक्यरञ्जितश्रीपदाम्बुजः।
दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेन्द्रविनाशनः॥18॥
नारायणः परम्ब्रह्म पन्नगाशनवाहनः।
जलक्रीडासमासक्तगोपीवस्त्रापहारकः॥19॥
पुण्यश्लोकस्तीर्थकरो वेदवेद्यो दयािधिः।
सर्वतीर्थात्मकः सर्वग्रहरूपी परात्पर॥20॥
॥ इति श्रीनारदपञ्चरात्रे श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं समाप्तम् ॥
जन्माष्टमी के दिन अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् का पाठ करने का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जन्माष्टमी के दिन अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् का पाठ करने से कार्यक्षेत्र में आ रही सभी समस्याएं दूर हो सकती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। इसके अलावा अगर आपका कोई काम बनते-बनते बिगड़ जा रहा है तो इस स्तोत्र का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
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Published By : Aarya Pandey
पब्लिश्ड 14 August 2025 at 08:22 IST