अपडेटेड 11 April 2025 at 08:12 IST

Lakshmi Stotra: शुक्रवार पूजा के दौरान जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, मां लक्ष्मी देंगी आशीर्वाद!

Maa Lakshmi Puja: अगर आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

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Maa Lakshmi
मां लक्ष्मी | Image: Shutterstock

Shri Ashtalakshmi Stotra: सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी व देवता को समर्पित है। जिसके अनुसार शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा किए जाने का विधान है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से देवी जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

वहीं, अगर आप किसी तरह के आर्थिक कष्ट या पारिवारिक परेशानी से गुजर रहे हैं तो आपको पूरे विधि-विधान के साथ शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। अगर आप पूजा करते समय मां लक्ष्मी के श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करते हैं तो माता आपसे जल्दी प्रसन्न हो जाएंगी और आपकी सभी परेशानियों का नाश करेंगी। ऐसे में चलिए जानते हैं कि श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के लिरिक्स किस तरह से हैं।

श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Sri Ashtalakshmi Stotram)

आदि लक्ष्मी

सुमनस-वन्दित सुन्दरी माधवि, चन्द्र-सहोदरी हेममये।
मुनिगण-वन्दित मोक्षप्रदायिनी, मंजुल-भाषिणि वेदनुते॥
पङ्कजवासिनि देवसुपूजिता, सद्गुण वर्षिणि शान्तिनुते।
जय जय हे मधुसूदन-कामिनि, आदि लक्ष्मि परिपालय माम्॥

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धान्य लक्ष्मी

अखिल कल्मष नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये।
क्षीर समुद्भव मङ्गल रूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते॥
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन-कामिनि, धान्य लक्ष्मि परिपालय माम्॥

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धैर्य लक्ष्मी

जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये।
सुरगण पूजित शीघ्रफलप्रदा, ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते॥
भवभय हारिणि पापविमोचनि, साधु जनाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन-कामिनि, धैर्य लक्ष्मि सदापालय माम्॥

गज लक्ष्मी

जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, वैदिक रूपिणि वेदमये।
रथगज तुरगपदाति समावृत, परिजनमण्डित लोकनुते॥
हरिहरब्रह्म सुपूजित सेविते, तापनिवारिणि पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन-कामिनि, गज लक्ष्मि रूपेण पालय माम्॥

सन्तान लक्ष्मी

अयि खगवाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वरभूषित गाननुते॥
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन-कामिनि, सन्तान लक्ष्मि परिपालय माम्॥

विजय लक्ष्मी

जय कमलासनि सद्गति दायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये।
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर, भूषित वासित वाद्यनुते॥
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्करदेशिक मान्यपदे।
जय जय हे मधुसूदन-कामिनि, विजय लक्ष्मि परिपालय माम्॥

विद्या लक्ष्मी

प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये।
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे॥
नवनिद्धिदायिनि कलिमल हारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते।
जय जय हे मधुसूदन-कामिनि, विद्या लक्ष्मि सदा पालय माम्॥

धन लक्ष्मी

धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि दिन्धिमी, दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये।
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते॥
वेदपुराणेतिहास सुपूजिता, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते।
जय जय हे मधुसूदन-कामिनि, धन लक्ष्मि रूपेण पालय माम्॥

अष्टलक्ष्मी स्तुति

अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणि।
विष्णु-वक्षःस्थलारूढे, भक्तमोक्षप्रदायिनी॥
शङ्खचक्रगदाहस्ते, विश्वरूपिणि ते जयः।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै, मङ्गलं शुभ मङ्गलम्॥

इति श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रं सम्पूर्णम्

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 11 April 2025 at 08:12 IST