अपडेटेड 6 July 2025 at 19:34 IST

सावन के महीने में तोड़ना चाहिए तुलसी या नहीं? जानें हिंदू धर्म में क्या है मान्यता

11 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत होने जा रही है। आइए जानते हैं कि सावन में तुलसी के पौधे से पत्ते तोड़ते हैं या नहीं।

many benefits of Tulsi plant
सावन में तुलसी का पत्ता तोड़ें या नहीं? | Image: freepik

तुलसी के पत्ता या तुलसी के पौधों का हिंदू धर्म में खास महत्व माना जाता है। तुलसी को माता मानकर उनकी देखभाल और पूजा करते हैं। अक्सर भगवान को भोग लगाने के लिए हम तुलसी के पत्ते तोड़कर प्रसाद में डालते हैं। 11 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत होने जा रही है। आइए जानते हैं कि सावन में तुलसी के पौधे से पत्ते तोड़ते हैं या नहीं।

हिंदू आस्था के अनुसार तुलसी माता भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रिय होती हैं। इस वजह से तुलसी के पौधे की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का निवास होता है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। सावन का यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। भगवान शिव की पूजा में तुलसी वर्जित है।

भगवान विष्णु ने वृंदा के पतिव्रत धर्म को किया भंग

इस वजह से सावन के महीने में लोग तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ते हैं। कहा जाता है कि तुलसी यानि कि वृंदा जलंधर नाम के असुर की पत्नी और भगवान विष्णु की भक्त थीं। असुर जलंधर को सारी शक्तियां वृंदा के पतिव्रत धर्म से आती थी और वह इसका दुरुपयोग करता था। असुर जलंधर की शक्तियों को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने फिर वृंदा के पतिव्रत धर्म को भंग किया।

भगवान शिव ने किया वृंदा के पति का वद्ध

जलंधर की शक्तियां कमजोर हो गईं, और फिर भगवान शिव ने उसका वद्ध किया। वृंदा को जब इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने गुस्से में भगवान विष्णु को श्राप दिया। गुस्से में वृंदा ने आत्मदाह कर लिया और उनकी राख से तुलसी का पौधा उतपन्न हुआ। फिर भगवान विष्णु ने तुलसी को आशीर्वाद दिया कि वह उनकी प्रिय होंगी और पूजा-पाठ में उनका खास महत्व होगा।

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चूंकि भगवान शिव ने वृंदा यानि कि तुलसी के पति का वद्ध किया था। इसलिए महादेव की पूजा के समय तुलसी को वर्जित किया गया है। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 6 July 2025 at 18:28 IST