अपडेटेड 1 August 2024 at 20:01 IST
Shivratri 2024: शिकारी चित्रभानु की कहानी... शिवरात्रि व्रत में जरूर पढ़ें ये कथा
Shivratri 2024 vrat katha in Hindi: यदि आप शिवरात्रि के खास मौके पर कथा पढ़ने जा रहे हैं तो जान लें कौन सी कथा जरूरी है। जानते हैं इसके बारे में..
- धर्म और अध्यात्म
- 4 min read

Shivratri 2024 vrat katha: शिवरात्रि का व्रत महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। ऐसे में यदि आप शिवरात्रि के खास मौके पर व्रत रख रहे हैं तो इस व्रत के दौरान पढ़ने वाली कथा के बारे में पता होना जरूरी है। जी हां, शिवरात्रि के व्रत को संपूर्ण तब माना जाता है जब इस दौरान शिवरात्रि की कथा पढ़ी जाती है। ऐसे में लोगों को इस कथा के बारे में पता होना जरूरी है।
आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि शिवरात्रि के खास मौके पर आप कौन सी कथा पढ़ सकते हैं। पढ़ते हैं आगे…
शिवरात्रि व्रत कथा क्या है?
कहते हैं कि चित्रभानु नाम का शिकारी था, जो जंगल में शिकार करता था। शिकार से ही वो अपना घर भी चलाता था। वहीं एक साहूकार का उस शिकारी पर कर्ज था। ऐसे में जब कर्ज समय पर नहीं चुका पाया तो साहूकार क्रोधित हो गया और उसने उसको बंदी बना लिया। जिस दिन शिकारी बंदी बना उस दिन शिवरात्रि थी। ऐसे में शिकारी ने शिव धार्मिक बातें सुनीं। वहीं उसने शिवरात्रि के दिन व्रत कथा भी सुनी।
धीरे-धीरे दिन गुजरता रहा। जब शाम हुई तो चित्रभानु ने साहूकार से कहा कि आप मुझे एक दिन का समय और दें, जिससे मैं आपका कर्जा चुका लूं। शिकारी बिना कुछ खाए पिए जंगल में शिकार करने चला गया। ऐसे ही शाम निकल गई। अब वह रात बीतने का इंतजार कर रहा था। ऐसे में वह बेल के पेड़ पर चढ़ गया। बता दें कि उस बेल के पेड़ के नीचे शिवलिंग था लेकिन शिकारी इस बात से अनजान था। शिकारी अनजाने में बेलपत्र के पत्ते तोड़ता और नीचे गिराता। संयोग से वे बेलपत्र के पत्ते शिवलिंग पर गिर रहे थे, जिससे उसका व्रत पूरा हो गया था।
Advertisement
उसने एक हिरनी को देखा और जैसे ही उसने अपना धनुष बाण निकाला वैसे ही उस हिरनी ने कहा कि वह गर्भवती है। ऐसे में तुम एक नहीं बल्कि दो जीवों की हत्या करोगे। हिरनी ने ये भी कह कि- जब वह बच्चा जन्म देगी तो उसके बाद वह स्वयं शिकार के लिए उसके पास आ जाएगी। इस दौरान शिकारी ने उसे जाने दिया और धनुष बाण को उतारने और चढ़ाने के चक्कर में कुछ बेलपत्र फिर उसके हाथ से शिवलिंग के ऊपर गिर गए। इस तरह प्रथम पहर की पूजा संपन्न हुई।
समय बीतता रहा। उसे एक हिरनी फिर दिखाई थी। वह बेहद ही खुश हो गया। उसने फिर से उसका शिकार करना चाहा। लेकिन हिरनी ने प्रार्थना की कि वह अपने पति को ढूंढने आई है। ऐसे में शिकारी ने फिर उस हिरनी को जाने दिया और उस दौरान फिर से चित्रभानु के हाथ से बेलपत्र टूटकर शिवलिंग पर गिर गए। इस तरीके से दूसरे पहर की पूजा भी पूरी हुई। इस तरह 3 हिरनियों को उसने जाने दिया।
Advertisement
पूरी रात बीत गई। सुबह शिकारी को फिर एक हिरन दिखाई दिया। अब उसने सोचा कि इस बार वो शिकार जरूर करेगा। इस तरह उसने फिर से प्रत्यंचा चढ़ाया पर हिरण ने कहा कि जैसे तुमने पहले तीन हिरनियों को जाने दिया इस प्रकार मुझे भी जाने दो। वह तीनों मेरी ही पत्नी हैं। क्या तुमने उन तीनों को छोड़ दिया है? तब शिकारी ने कहा कि हां और उसने पूरी घटना बताई।
हिरण ने कहा कि जैसे तुमने उन तीनों को छोड़ दिया, इस तरह मुझे भी छोड़ दो और मेरा विश्वास करो मैं जल्दी पूरे परिवार के साथ सामने आउंगा। इस तरह शिकारी ने उस हिरण को भी जाने दिया। ऐसे में अनजाने में ही सही पर शिकारी ने अपना पूरा व्रत पूर्ण किया और शिकारी का हृदय निर्मल हो गया। जब उसके सामने हिरण का पूरा परिवार सामने आया तो उसका मन पिघल गया और उसे बेहद ग्लानी महसूस हुई। उसने पूरे परिवार को जाने दिया। भगवान शिव को भी शिकारी की यह बात बहुत अच्छी लगी और वह प्रसन्न हो गए। उन्होंने उस शिकारी को दर्शन दिए और सुख समृद्धि का वरदान भी दिया। साथ ही उसका नाम गुह रखा।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 1 August 2024 at 19:40 IST