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Published 07:23 IST, October 4th 2024

Navratri 2024 2nd Day: आज जरूर पढ़ें मां ब्रह्मचारिणी की चालीसा

Shardiya Navratri 2nd Day 2024: यदि आप नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की चालीसा पढ़ना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए है। जानते हैं इसके बारे में...

Maa Brahmacharini Upay
Maa Brahmacharini chalisa | Image: Freepik

Shardiya Navratri 2nd Day 2024: नवरात्रि के दूसरे दिन यदि आप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कर रहे हैं तो इस दौरान आप मां ब्रह्मचारिणी की चालीसा को जरूर पढ़ें। मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी की चालीसा पड़ता है तो इससे मन बेहद ही प्रसन्न होती हैं और उन्हें आशीर्वाद देकर जाती हैं। ऐसे में मां ब्रह्मचारिणी की चालीसा यहां पर दी जा रही है। 

आज का हमारा लेख इसी चालीसा पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आप मां ब्रह्मचारिणी की कौन सी चालीसा (Maa Brahmacharini chalisa) पढ़ सकते हैं। पढ़ते हैं आगे… 

ब्रह्मचारिणी चालीसा (Maa Brahmacharini Chalisa)

दोहा
कोटि कोटि नमन मात पिता को, जिसने दिया ये शरीर।
बलिहारी जाऊँ गुरू देव ने, दिया हरि भजन में सीर।।

स्तुति

चन्द्र तपे सूरज तपे, और तपे आकाश ।
इन सब से बढकर तपे,माताऒ का सुप्रकाश ।।
मेरा अपना कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा ।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ॥
पद्म कमण्डल अक्ष, कर ब्रह्मचारिणी रूप ।
हंस वाहिनी कृपा करो, पडू नहीं भव कूप ॥
जय जय श्री ब्रह्माणी, सत्य पुंज आधार ।
चरण कमल धरि ध्यान में, प्रणबहुँ माँ बारम्बार ॥

चौपाई
जय जय जग मात ब्रह्माणी, भक्ति मुक्ति विश्व कल्याणी।
वीणा पुस्तक कर में सोहे, शारदा सब जग सोहे ।।
हँस वाहिनी जय जग माता, भक्त जनन की हो सुख दाता।
ब्रह्माणी ब्रह्मा लोक से आई, मात लोक की करो सहाई।
क्षीर सिन्धु में प्रकटी जब ही, देवों ने जय बोली तब ही।
चतुर्दश रतनों में मानी, अद॒भुत माया वेद बखानी।।
चार वेद षट शास्त्र कि गाथा, शिव ब्रह्मा कोई पार न पाता।
आदि शक्ति अवतार भवानी, भक्त जनों की मां कल्याणी।।
जब−जब पाप बढे अति भारी, माता शस्त्र कर में धारी।
पाप विनाशिनी तू जगदम्बा, धर्म हेतु ना करी विलम्बा।।
नमो: नमो: ब्रह्मी सुखकारी, ब्रह्मा विष्णु शिव तोहे मानी।
तेरी लीला अजब निराली, सहाय करो माँ पल्लू वाली।।
दुःख चिन्ता सब बाधा हरणी, अमंगल में मंगल करणी।
अन्न पूरणा हो अन्न की दाता, सब जग पालन करती माता।।
सर्व व्यापिनी असंख्या रूपा, तो कृपा से टरता भव कूपा।
चंद्र बिंब आनन सुखकारी, अक्ष माल युत हंस सवारी।।
पवन पुत्र की करी सहाई, लंक जार अनल सित लाई।
कोप किया दश कन्ध पे भारी, कुटुम्ब संहारा सेना भारी।।
तु ही मात विधी हरि हर देवा, सुर नर मुनी सब करते सेवा।
देव दानव का हुआ सम्वादा, मारे पापी मेटी बाधा।।
श्री नारायण अंग समाई, मोहनी रूप धरा तू माई।
देव दैत्यों की पंक्ति बनाई, देवों को मां सुधा पिलाई।।
चतुराई कर के महा माई, असुरों को तू दिया मिटाई।
नौ खण्ङ मांही नेजा फरके, भागे दुष्ट अधम जन डर के।।
तेरह सौ पेंसठ की साला, आस्विन मास पख उजियाला।
रवि सुत बार अष्टमी ज्वाला, हंस आरूढ कर लेकर भाला।।
नगर कोट से किया पयाना, पल्लू कोट भया अस्थाना।
चौसठ योगिनी बावन बीरा, संग में ले आई रणधीरा।।
बैठ भवन में न्याय चुकाणी, द्वारपाल सादुल अगवाणी।
सांझ सवेरे बजे नगारा, उठता भक्तों का जयकारा।।
मढ़ के बीच खड़ी मां ब्रह्माणी, सुन्दर छवि होंठो की लाली ।
पास में बैठी मां वीणा वाली, उतरी मढ़ बैठी महाकाली ।।
लाल ध्वजा तेरे मंदिर फरके, मन हर्षाता दर्शन करके।
दूर दूर से आते रेला, चैत आसोज में लगता मेला।।
कोई संग में, कोई अकेला, जयकारो का देता हेला।
कंचन कलश शोभा दे भारी, दिव्य पताका चमके न्यारी।।
सीस झुका जन श्रद्धा देते, आशीष से झोली भर लेते।
तीन लोकों की करता भरता, नाम लिए सब कारज सरता ।।
मुझ बालक पे कृपा कीज्यो, भुल चूक सब माफी दीज्यो।
मन्द मति जय दास तुम्हारा, दो मां अपनी भक्ती अपारा ।।
जब लगि जिऊ दया फल पाऊं, तुम्हरो जस मैं सदा सुनाऊं।
श्री ब्रह्माणी चालीसा जो कोई गावे, सब सुख भोग परम सुख पावे ।।

दोहा
राग द्वेष में लिप्त मन, मैं कुटिल बुद्धि अज्ञान ।
भव से पार करो मातेश्वरी, अपना अनुगत जान ॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 07:23 IST, October 4th 2024