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Published 07:01 IST, October 4th 2024

Navratri 2nd Day: मां ब्रह्मचारिणी के इन मंत्रों से दें आहुति, पढ़ें आरती और स्तुति

Shardiya Navratri 2nd Day 2024: मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र, स्तुति और आरती आपको इस लेख में दिए जा रही है। जानते हैं इनके बारे में...

Maa Brahmacharini
Maa Brahmacharini | Image: social media

Shardiya Navratri 2nd Day 2024: नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। ऐसे में इस दिन मां को प्रसन्न करने के लिए लोग न केवल व्रत रखते हैं बल्कि उनकी पूजा अर्चना भी करते हैं। यदि आप मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो आप यहां दिए गए आरती, मंत्र और स्तुति से अपनी इस इच्छा को पूरा कर सकते हैं।

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आप मां ब्रह्मचारिणी के कौन से मंत्र, स्तुति और आरती को पढ़ सकते हैं। पढ़ते हैं आगे…

मां ब्रह्माचारिणी पूजा मंत्र (Maa Brahmacharini Puja Mantra)

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।। 
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। 
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

माता ब्रह्मचारिणी की आरती (Brahmacharini Mata Aarti)

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगान।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
बोल सांचे दरबार की जय, जय माता दी।

ब्रह्मचारिणी स्तोत्र (Maa Brahmacharini Strotra)

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

ब्रह्मचारिणी कवच स्तोत्र (Maa Brahmacharini kawach strotra)

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 07:02 IST, October 4th 2024