अपडेटेड 14 July 2025 at 20:59 IST

Mangala Gauri Vrat 2025: सावन में मिल सकता है सौभाग्य! पहला मंगला गौरी व्रत कल, कौन कर सकता है व्रत और क्या है शुभ मुहूर्त?

किसी भी व्रत को रखने के लिए आपको पूजा विधि से लेकर सभी नियमों को पहले ही जान लेना चाहिए।

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किसी भी व्रत को रखने के लिए आपको पूजा विधि से लेकर सभी नियमों को पहले ही जान लेना चाहिए। | Image: Freepik

सावन का महीना देवी-देवताओं की पूजा का बेहद पावन समय माना जाता है। इस महीने में जहां सोमवार को शिवजी की पूजा की जाती है, वहीं मंगलवार को सुहागन महिलाएं माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए मंगला गौरी व्रत करती हैं। यह व्रत विवाह, सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए बेहद फलदायी माना जाता है।

साल 2025 में पहला मंगला गौरी व्रत सावन मास के पहले मंगलवार को 15 जुलाई को रखा जाएगा। आइए जानते हैं इस व्रत की महत्ता, पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और कौन-कौन इस व्रत को कर सकता है।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

मंगला गौरी व्रत देवी पार्वती को समर्पित है, जिन्हें सौभाग्य, शक्ति और गृहस्थ सुख की देवी माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से-

  • वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है
  • पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
  • अविवाहित लड़कियों को अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
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मंगला गौरी व्रत 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • व्रत तिथि: मंगलवार, 15 जुलाई 2025
  • पूजन का शुभ मुहूर्त: सुबह 07:00 बजे से 10:30 बजे तक
  • बता दें कि इस दिन रात्रि में दीप दान का विशेष महत्व होता है, इसलिए शाम को भी पूजा की जा सकती है।

कौन कर सकता है मंगला गौरी व्रत?

  • नई-नवेली विवाहिता महिलाएं: यह व्रत विवाह के पहले पांच साल तक हर सावन के मंगलवार को किया जाता है।
  • अविवाहित लड़कियां: अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए कर सकती हैं।
  • सुहागन महिलाएं: सुखी जीवन और परिवार की समृद्धि के लिए भी यह व्रत रखती हैं।

मंगला गौरी व्रत की विधि

  • सुबह स्नान कर के साफ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा स्थान पर लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी मंगला गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • माता को कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, सुपारी, पान, नारियल आदि चढ़ाएं।
  • शृंगार का सामान अर्पित करें, जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी आदि।
  • मंगलसूत्र या लाल धागे में सिन्दूर बांधकर माता को चढ़ाएं।
  • दीप जलाकर मंगला गौरी व्रत कथा सुनें।
  • 16 दीपों का दीप दान करें और आरती करें।
  • अंत में व्रत का पारण अगले दिन सुबह कर सकते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

  • व्रत के दौरान व्रती को सात्विक आहार लेना चाहिए।
  • पूरे दिन मां गौरी का स्मरण करें और मन शांत रखें।
  • शाम को दीप जलाकर माता का भजन कीर्तन करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Samridhi Breja

पब्लिश्ड 14 July 2025 at 20:59 IST