अपडेटेड 18 July 2024 at 16:01 IST

Sawan 2024: शिवजी ने क्यों किया मां तुलसी के पति का वध? पढ़ें इसके पीछे छिपी ये कथा

Lord shiva story in hindi: भगवान शिव ने माता तुलसी के पति का वध क्यों किया था और शालिग्राम और तुलसी का विवाह क्यों हुआ था? जानते हैं प्रश्नों के उत्तर...

Lord shiva story in hindi
शिवजी ने क्यों किया मां तुलसी के पति का वध? | Image: social media

Who killed the husband of Tulsi? सावन के महीने में भगवान शिव से जुड़ी जितनी भी कहानी पढ़ी जाएं उतनी कम हैं। आज फिर आपके लिए एक पुरानी कथा लेकर आए हैं। जी हां, क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव ने माता तुलसी के पति का वध किया था। यही कारण है कि तुलसी का पत्ता शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता। आज का हमारा लेख भी इसी कहानी पर है। 

आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि माता तुलसी के पति का वध भगवान शिव (Lord Shiva Story) ने क्यों किया और इसी कहानी में शालिग्राम और तुलसी के विवाह का भी राज छिपा है। पढ़ते हैं आगे…

शिवजी ने क्यों कर माता तुलसी के पति का वध (Why did Tulsi marry Jalandhar?)

तुलसी के पति का नाम जालंधर था। वह बहुत ही अत्याचारी था। वहीं उसने भगवान विष्णु को भी युद्ध के लिए ललकारा था। लेकिन माता तुलसी ने भगवान विष्णु से यह वरदान प्राप्त किया था कि जब तक माता तुलसी भगवान विष्णु की पूजा में लीन रहेंगी तब तक उनके पति को कोई नहीं मार सकता। ऐसे में जब भी जालंधर युद्ध पर जाते माता तुलसी पूजा में लीन हो जाती और भगवान विष्णु को मजबूरन उनकी पूजा को सफल करना पड़ता। 

एक बार भगवान शिव विष्णु से मिलने गए और कहां कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो जालंधर पूरे संसार पर राज करने लगेगा और अत्याचार बढ़ जाएगा। हमें अत्याचार को रोकने के लिए कोई योजना बनानी पड़ेगी। तब भगवान शिव ने विष्णु से कहा कि आप जालंधर का रूप बनाकर माता तुलसी के पास उस वक्त जाएं जब जालंधर युद्ध पर जाए। तो इस तरह माता तुलसी की पूजा अधूरी रह जाएगी और मैं जालंधर का वध कर दूंगा। 

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योजना के अनुसार, जैसे जालंधर युद्ध पर गए भगवान विष्णु तुलसी के पास उनके पति का वेश धारण करके चले गए। उधर भगवान शिव ने जालंधर का सर धड़ से अलग कर दिया और वह सर माता तुलसी की गोद में जा गिरा और कहा कि तुलसी तेरे साथ छल हुआ है। जो आदमी तेरे सामने बैठा है वो आदमी मैं नहीं हूं। यह कोई और नहीं, वही है जिसकी तू पूजा करती है। ऐसा सुनकर माता तुलसी को बहुत क्रोध आ गया और उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि आप पत्थर के हो जाएं। 

भगवान विष्णु के पत्थर के होते ही सृष्टि में हाहाकार मच गया। तब माता लक्ष्मी तुलसी मां के पास गईं और उनसे अपना श्राप वापस लेने के लिए कहा। माता तुलसी ने अपना श्राप वापस लिया पर भगवान विष्णु ने अपना एक रूप पत्थर में समाहित कर दिया, जिसे आज शालिग्राम के नाम से जानते हैं। मान्यता है कि देवउठानी एकादशी पर शालिग्राम और तुलसी का विवाह भी किया जाता है। वहीं भगवान विष्णु ने यह भी कहा कि मैं तुलसी पत्ते के बिना कुछ भी ग्रहण नहीं करूंगा इसलिए शालिग्राम को तुलसी के पौधे के पास रखा जाता है या शालिग्राम पर तुलसी का पत्र चढ़ाया जाता है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 18 July 2024 at 16:01 IST