अपडेटेड 20 July 2024 at 11:15 IST
Sawan 2024: माता पार्वती ने शिवजी को किया पत्ते पहनने पर मजबूर, साथ देने पर रावण को भी मिला श्राप
Sawan 2024: आखिर माता पार्वती को क्यों देना पड़ा था भगवान शिव को श्राप और इसके पीछे कौन सी कथा प्रचलित है? जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब...
- धर्म और अध्यात्म
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Sawan 2024: सावन के महीने में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन न केवल कई नियमों को अपनाते हैं बल्कि उनसे जुड़ी कथाओं को भी सुनते हैं। मान्यता है कि यदि सावन के महीने में भगवान शिव से जुड़ी कथाएं सुनी जाएं तो वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। आज हम फिर आपके लिए कथा लेकर आए हैं। माता पार्वती ने शिव जी को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप व प्रतीक्षा की थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता पार्वती ने भी भगवान शिव को श्राप दिया था।
जी हां, आज का हमारा लेख इसी कथा पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि माता पार्वती ने भगवान शिव को क्यों श्राप दिया था। पढ़ते हैं आगे...
क्यों दिया माता पार्वती ने भगवान शिव को श्राप?
एक बार माता पार्वती ने चौसर खेलने की इच्छा की। तब भगवान शिव और माता पार्वती ने चौसन खेला जिसमें माता पार्वती की जीत हुई। जब खेल में भगवान शिव अपना सब कुछ हार गए तो हारने के बाद उन्होंने पत्तों का वस्त्र पहना और गंगा जी के तट पर चले गए। जब कार्तिकेय को ये बात पता चली तो वे माता पार्वती के पास महादेव की वस्तुएं मांगने के लिए गए। लेकिन मां ने वस्तु देने के लिए मना कर दिया। फिर माता पार्वती और कार्तिकेय के बीच भी खेल हुआ, जिसमें माता पार्वती की हार हुई। उसके बाद गणपति भगवान ने चौसर के खेल में भगवान शिव को हरा दिया। अपनी जीत से भगवान गणेश बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने माता पार्वती को अपनी जीत का किस्सा सुनाया। उस दौरान माता पार्वती ने शिवजी को दोबारा कैलाश पर्वत लाने की बात कही। गणपति जी के बुलाने पर भी भगवान शिव कैलाश पर्वत आने के लिए नहीं माने। वहीं रावण ने गणपति जी के वाहक मूषक को बिल्ली का रूप धारण करके डरा दिया और उन्हें भगा दिया।
जब शिवजी ने कहा कि मैं तभी आऊंगा जब माता पार्वती दोबारा मेरे साथ चौसर का खेल खेलेंगी तो ऐसे में माता पार्वती ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया। माता ने शंकर जी से कहा कि आप तो अपना सब कुछ हार गए हैं ऐसे में अब आप खेल में क्या लगाएंगे। तब नारद जी ने अपनी वीणा शिव जी को दी और भगवान विष्णु ने शिवजी की इच्छा से पासा का रूप धारण किया। अब खेल में माता पार्वती हार रही थीं और भगवान शिव जीत रहे थे। जब गणपति भगवान को विष्णु जी की चाल का पता चला तो उन्होंने माता पार्वती को सब कुछ बता दिया। तब माता पार्वती को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने रावण को तो श्राप दिया कि उसका अंत भगवान विष्णु के हाथों होगा और शिवजी को श्राप दिया कि उनके सिर पर सदैव गंगा जी रहेंगी।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 20 July 2024 at 11:11 IST