अपडेटेड 28 November 2025 at 21:20 IST
Saturday Stotra: शनिवार के दिन जरूर करें शनि स्तोत्र का जाप, कुंडली में साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों से मिल सकता है छुटकारा
Saturday Stotra: हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। इस दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की कुंडली में चल रही साढ़ेसाती से छुटकारा मिल सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Saturday Stotra: शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना गया है। इनकी महिमा अपरंपार है और इनकी कृपा से रंक भी राजा बन सकता है, वहीं यदि ये रुष्ट हो जाएं तो जीवन कष्टमय हो जाता है।
यही कारण है कि कुंडली में शनि की स्थिति को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, खासकर जब शनि की महादशा, ढैय्या या सबसे अधिक अशुभ माने जाने वाली साढ़ेसाती चल रही हो। अब ऐसे में इस दिन ऐसा स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो सकती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
शनिवार के दिन करें शनि स्तोत्र का पाठ
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥
रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् ।
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सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥
याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं ।
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एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥
प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा ।
पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥
दशरथकृत शनि स्तोत्र:
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥
दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् ।
अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥
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शनि स्तोत्र का पाठ करने का महत्व
इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। जीवन की समस्त परेशानियों से मुक्ति मिलती है और जीवन मंगलमय बनता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपकी कुंडली में साढ़ेसाती या ढैय्या चल रहा है तो इससे भी छुटकारा मिल सकता है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 28 November 2025 at 21:20 IST