अपडेटेड 28 December 2025 at 08:01 IST

Suryadev Stotra: कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्ति से लेकर अच्छे स्वास्थ्य के लिए करें सूर्यदेव के इस स्तोत्र जाप, जानें सही नियम

Suryadev Stotra: हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन सूर्यदेव की उपासना करने से आपको शुभ परिणाम मिल सकते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से सूर्यदेव स्तोत्र का पाठ और नियम के बारे में जानते हैं।

Suryadev Stotra
Suryadev Stotra | Image: Freepik

Suryadev Stotra: सनातन धर्म में हर दिन का विशेष महत्व है। वहीं आज रविवार का दिन है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विशेष विधान है। ऐसी मान्यता है कि सूर्यदेव की पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो सकती है और मनचाहे परिणाम मिल सकते हैं। इतना ही नहीं, अगर आपके कार्यक्षेत्र में परेशानियां आ रही है तो अर्घ्य देने से लाभ हो सकता है। 

आइए इस लेख में विस्तार से रविवार के दिन सूर्यदेव के स्तोत्र का पाठ करने के बारे में विस्तार से जानते हैं साथ ही किन नियमों का पालन करने से उत्तम परिणाम मिल सकते हैं।

रविवार के दिन करें सूर्यदेव के स्तोत्र का पाठ

आज रविवार के दिन सूर्यदेव के स्तोत्र का पाठ विधिवत रूप से करें। आप सबसे पहले सूर्यदेव को अर्घ्य दें और उसके बाद पाठ करें। इससे उत्तम परिणाम मिल सकते हैं।

श्री सूर्य अष्टकम ॥

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।

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दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोSस्तु ते ॥1॥

सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।

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श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥2॥

लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥3॥

त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥4॥

बृंहितं तेज:पु़ञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।

प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥

बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम् ।

एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥6॥

तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज:प्रदीपनम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥7॥

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥8॥

इति श्रीशिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम् ।

सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम् ।

अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत् ॥

अमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने ।

सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता ॥

स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने ।

न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति ॥

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सूर्यदेव के स्तोत्र का पाठ करने के नियम क्या है?

  • पाठ करने का सबसे उत्तम समय सूर्योदय का होता है। उगते सूरज के सामने पाठ करना सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है।
  • यदि सुबह संभव न हो, तो सूर्यास्त से पहले भी पाठ किया जा सकता है, लेकिन रात में सूर्य स्तोत्र का पाठ वर्जित है।
  • पाठ करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यदि सूर्य देव दिखाई दे रहे हों, तो उनके सम्मुख खड़े होकर या बैठकर पाठ करना श्रेष्ठ है।
  • यदि आप विशेष मनोकामना के लिए पाठ कर रहे हैं, तो रविवार के दिन नमक से संबंधित कोई भी चीज न खाएं।

Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 28 December 2025 at 08:01 IST