अपडेटेड 13 December 2025 at 17:54 IST

Surya Dev Stotra: रविवार के दिन जरूर करें सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र का पाठ, जीवन की सभी मुश्किलें होंगी दूर

Surya Dev Stotra: रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा का विशेष विधान है। अब ऐसे में इस दिन सूर्य अष्टोत्तर शतनामनावली स्तोत्र का पाठ करने का विधान है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Surya Dev Stotra
Surya Dev Stotra | Image: Freepik

Surya Dev Stotra: ज्योतिष में सूर्य देव को साक्षात देवता माना गया है। वे न केवल ब्रह्मांड को ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करते हैं, बल्कि वे आत्मा, मान-सम्मान, स्वास्थ्य और पिता के कारक भी हैं। सप्ताह का पहला दिन, रविवार, विशेष रूप से सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन सूर्य उपासना का विशेष महत्व होता है, और इसी उपासना में 'सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र' का पाठ एक अत्यंत प्रभावी और चमत्कारिक उपाय माना गया है। 

आपको बता दें, रविवार के दिन सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र का पाठ करने का विशेष विधान है। यह स्तोत्र सूर्यदेव के 108 पवित्र नामों का एक स्तोत्र है। ऐसी मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो सकती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

रविवार के दिन जरूर करें सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र का पाठ

सूर्योऽर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि:।
गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर:।।
पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वायुश्च परायणम्।
सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधो अंगारक एव च।।
इन्द्रो विवस्वान् दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर:।
ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वै वरुणो यम:।।
वैद्युतो जाठरश्चाग्नि रैन्धनस्तेजसां पति:।
धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदांगो वेदवाहन:।।
कृतं त्रेता द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय:।
कला काष्ठा मुहूर्त्ताश्च क्षपा यामस्तथा क्षण:।।
संवत्सरकरोऽश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु:।
पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन:।।
कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद:।
वरुण: सागरोंऽशश्च जीमूतो जीवनोऽरिहा।।
भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत:।
स्रष्टा संवर्तको वह्नि: सर्वस्यादिरलोलुप:।।
अनन्त: कपिलो भानु: कामद: सर्वतोमुख:।
जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता।।
मन:सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक:।
धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवो दिते: सुत:।।
द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह:।
स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम्।।
देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख:।
चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय: करुणान्वित:।।

फलश्रुति - 
एतद् वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस:।
नामाष्टशतकं चेदं प्रोक्तमेतत् स्वयंभुवा।।
सुरगणपितृयक्षसेवितं ह्यसुरनिशाचरसिद्धवन्दितम्।
वरकनकहुताशनप्रभं प्रणिपतितोऽस्मि हिताय भास्करम्।।
सूर्योदये य: सुसमाहित: पठेत् स पुत्रदारान् धनरत्नसंचयान्।
लभेत जातिस्मरतां नर: सदा धृतिं च मेधां च स विन्दते पुमान्।।
इमं स्तवं देववरस्य यो नर: प्रकीर्तयेच्छुचिसुमना: समाहित:।
विमुच्यते शोकदवाग्निसागराल्लभेत कामान् मनसा यथेप्सितान्।।

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सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र का पाठ करने का महत्व

सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। यह सूर्यदेव के 108 दिव्य नामों का जाप है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आता है और सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही व्यक्ति को मनचाहे फलों की प्राप्ति हो सकती है।

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Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 13 December 2025 at 17:54 IST