अपडेटेड 20 February 2025 at 11:58 IST

Pradosh Vrat 2025: कब है फरवरी महीने का आखिर प्रदोष व्रत? नोट करें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Pradosh Vrat 2025 Date: आइए जानते हैं कि फरवरी महीने का आखिरी प्रदोष व्रत किस तारीख को पड़ रहा है।

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Shani Pradosh
प्रदोष व्रत 2025 | Image: Freepik

Pradosh Vrat 2025 Puja Muhurat: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बेहद खास महत्व है। हर महीने दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं, जिनमें एक प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान से प्रदोष व्रत के साथ-साथ भगवान शिव की उपासना और पूजा करता है उससे प्रभु प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत को करने से महादेव अपने भक्त के जीवन की समस्त समस्याओं का निवारण कर उस पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं। आइए जानते हैं कि फरवरी महीने का आखिरी प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत 2025 की तिथि (Pradosh Vrat 2025 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 25 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगी जिसका समापन 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर होगा। ऐसे में चुंकि भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है इसलिए 25 फरवरी को इस महीने का आखिरी प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत 2025 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Muhurat)

वहीं अगर बात करें इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त की तो मंगलवार, 25 फरवरी को शाम 06 बजकर 18 मिनट से 08 बजकर 49 मिनट तक शिवजी की पूजा के लिए सबसे सही मुहूर्त रहेगा। इस दौरान आप शिवजी की उपासना कर सकते हैं।

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प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)

  • शाम के समय पूजा के शुभ मुहूर्त से पहले स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
  • फिर भगवान शिव और माता पार्वती समेत उनके पूरे परिवार और अन्य देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें।
  • इसके बाद संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं।
  • अब शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की पूजा-अर्चना करें।
  • इस दौरान शिवजी को चंदन, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध, गंगाजल इत्यादि अर्पित करें।
  • भगवान को साबूदाने की खीर का भोग लगाएं।
  • पूजा करने के बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
  • इसके बाद घी के दीपक से भगवान शिव की आरती करें।
  • आखिर में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
  • इसके बाद भगवान से क्षमा आदि मांगकर जो भी विनती आपको करनी है वह करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 17 February 2025 at 08:17 IST