अपडेटेड 23 April 2025 at 14:48 IST

Pradosh Vrat 2025: कब है वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत? जानिए तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Pradosh Vrat 2025 Date: आइए जानते हैं कि वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत किस तारीख को रखा जाने वाला है।

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Shani Pradosh
प्रदोष व्रत 2025 | Image: Freepik

Pradosh Vrat 2025 Date and Muhurat: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बेहद खास महत्व है। हर महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं, जिनमें एक प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन मुख्य रूप से देवों के देव भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

वहीं इस बार शिव भक्त वैशाख माह (Vaishakh maah ka pehla Pradosh Vrat kab hai) में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की तारीख को लेकर काफी कंफ्यूज्ड हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 25 अप्रैल को पड़ रही है तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इस बार प्रदोष व्रत 26 अप्रैल को रखा जाएगा। ऐसे में चलिए हम आपको बताते हैं कि वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत 2025 तिथि (Pradosh Vrat 2025 Date)

अप्रैल महीने का दूसरा और वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत है, जो वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुक्रवार, 25 अप्रैल  को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर शनिवार, 26 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 27 मिनट तक है। ऐसे में अप्रैल महीने का दूसरा और वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत शुक्रवार, 25 अप्रैल को रखा जाने वाला है। शुक्रवार का दिन होने के कारण इस व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जा सकता है।

प्रदोष व्रत 2025 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Muhurat)

किसी भी प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा विशेष रूप से प्रदोष काल में की जाती है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है। ऐसे में पंचांग के अनुसार, शुक्रवार, 25 अप्रैल को प्रदोष काल शाम 6 बजकर 53 मिनट से रात 9 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस समय आप महादेव की विधिपूर्वक पूजा कर सकते हैं।

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प्रदोष व्रत 2025 पूजा विधि (Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)

  • प्रदोष व्रत पर शिवजी की पूजा करने के लिए शुभ प्रदोष काल मुहूर्त से पहले स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • अब लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
  • पूजा में पंचामृत, बिल्व पत्र, सफेद फूल, चंदन का लेप, धूप, दीया, फल, मिठाई और साफ पानी को शामिल करें।
  • इसके बाद शिवलिंग को पंचामृत और जल से स्नान कराएं, फिर बेल पत्र और फूल चढ़ाएं।
  • पूजा में घी का दीपक जलाएं, शिव आरती करें और नैवेद्य के रूप में मिठाई या फल चढ़ाएं।
  • पूजा के दौरान “ओम नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
    साथ ही पूजा के दौरान प्रदोष व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
  • आखिर में क्षमा प्रार्थना कर परिवार व दोस्तों के साथ प्रसाद बांटें और गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें या भोजन कराएं।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 23 April 2025 at 14:48 IST