Published 21:04 IST, September 20th 2024
श्राद्ध नियम: कैसे किया जाता है Shradh, क्या है इसका नियम? जानें पूजा और तर्पण की विधि
Shradh Karm Niyam: अगर आप पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करते हैं, इसके नियम, पूजा विधि और तर्पण कैसे करें इसके बारे में जरूर जान लें।
Pitru paksha me kaise kare Shradh kya hai tarpan vidhi: इन दिनों पितरों को समर्पित पितृपक्ष की तिथियां चल रही है। हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल, ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पितृ गण देवलोक से पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपनी संतानों को सुखी और संपन्न रहने का आशीर्वाद देकर पितर अमावस्या के दिन वापस देवलोक चले जाते हैं। यह पूरे 16 दिनों तक चलता है। इस दौरान लोग अपने-अपने पूर्वजों को याद करते हैं और तिथि के हिसाब से उनका श्राद्ध कर्म करते हैं, लेकिन इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना बहुत ही जरूरी होता है। तो चलिए जानते हैं कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म के नियम क्या हैं और पितरों की पूजा और तर्पण कैसे किया जाता है?
आपको बता दें कि हिंदू धर्म में श्राद्ध कर्म मृतक पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए किया जाता है। खासतौर पर पितपक्ष के दिनों में पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पूजा और पिंडदान किया जाता है। साथ ही इन दिनों में पितृों की आत्मा को तृप्त करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं।
पितृपक्ष में कैसे करें श्राद्ध कर्म क्या है विधि?
तिथि का रखें खास ध्यान
श्राद्ध कर्म आमतौर पर पितृ पक्ष में किया जाता है। यह अवधि भादो माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होती है जो अमावस्या तक चलती है। हर परिवार अपने पूर्वजों की तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में आपके पूर्वजों की मृत्यु जिस तिथि को हुई थी उसका ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है।
पवित्रता का रखें ध्यान
श्राद्ध कर्म से पहले पूजा स्थल को पवित्र किया जाता है। इसकी तैयारी में स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनने का खास ध्यान रखा जाता है। ऐसे में जो भी व्यक्ति श्राद्ध कर्म करता है, उसे इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पंडित का निमंत्रण
श्राद्ध कर्म बिना किसी पंडित या ब्राह्मण के पूरा नहीं होता है, क्योंकि वह इस दौरान किए जाने वाले कई तरह के अनुष्ठान और मंत्रोच्चारण करते हैं। ऐसे में श्राद्ध कर्म से पहले पंडित या किसी ब्राह्मण को बुलाया जाता है।
पूजा थाली तैयार करना
श्राद्ध कर्म में विशेष रूप से आमंत्रित ब्राह्मणों को भोजन परोसने से पहले, एक पूजा थाली सजाई जाती है, जिसमें चावल, फूल, फल, और अन्य सामग्री होती हैं।
पितृों को अर्पण
श्राद्ध में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा पितृों को अर्पित नाश्ते और भोजन का निर्माण करना होता है। इसमें विशेष रूप से प्रिय भोजन जैसे कि भात, दाल, सब्जी, और मिठाई तैयार की जाती है।
तर्पण
तर्पण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें जल में अन्न डालकर पितृों को अर्पित किया जाता है। यह तर्पण उस समय उपस्थित पंडित के मंत्रों के साथ पूरा किया जाता है।
ब्राह्मणों को भोजन
श्राद्ध कर्म के बाद इस पूजा में उपस्थित ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। उनके भोजन के बाद ही श्राद्ध कर्म को सम्पूर्ण माना जाता है।
श्राद्ध कर्म के क्या हैं नियम?
संकल्प
श्राद्ध कर्म से पहले श्रद्धालु को सही मन और भाव के साथ संकल्प लेना चाहिए।
शुद्धता
प्रसाद का तैयार करना और सभी कार्य कुशलता से करना आवश्यक है और सबसे जरूरी इस दौरान शुद्धता का विशेषतौर पर ध्यान रखना चाहिए।
समय का पालन
श्राद्ध कर्म को उचित समय में करना चाहिए, खासतौर पर पितृ पक्ष में। दरअसल, पितृपक्ष में श्राद्ध करने का एक समय निर्धार्ति किया गया होता है। ऐसे में उसी के हिसाब से श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
आस्था
श्राद्ध कर्म में आस्था और श्रद्धा का होना बहुत महत्वपूर्ण है।
ये चीजें हैं वर्जित
श्राद्ध कर्म में मांस, शराब और तामसिक भोजन का सेवन नहीं किया जाता है।
श्राद्ध कर्म न केवल मृत्यु के बाद की श्राद्ध के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवितों के लिए भी एक महत्वपूर्ण साधना है, जो जीवन में आस्था और भक्ति को बढ़ावा देती है।
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Updated 21:04 IST, September 20th 2024