अपडेटेड 30 November 2025 at 18:24 IST
Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Katha: मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाती है ये दिव्य कथा, व्रत के दिन जरूर पढ़ें
Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Katha: मोक्षदा एकादशी 2025 पर व्रत की पूर्णता के लिए व्रत कथा का श्रवण या पाठ आवश्यक है। जानिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारा युधिष्ठिर को सुनाई गई यह पुण्य कथा और इसका महत्व।
- धर्म और अध्यात्म
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Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Katha: हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी को मोक्ष प्राप्ति वाला एकादशी माना जाता है। यह दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन कई भक्त सत्यनारायण की कथा कराते हैं और धार्मिक अनुष्ठान विधिवत रूप से करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो लोग व्रत रखते हैं। उन्हें कभी भी यम की पीड़ा नहीं सहनी पड़ती है और मृत्यु के समय में देवता स्वर्ग ले जाने के लिए आते हैं।
यह व्रत मोक्ष प्राप्ति वाला माना जाता है। इतना ही नहीं, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के हिसाब से मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 दिसंबर को है। अब ऐसे में इस दिन जो भक्त व्रत रख रहे हैं। वह कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। वरना इसके बिना अधूरी मानी जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से व्रत कथा के बारे में जानते हैं।
मोक्षदा एकादशी के दिन पढ़ें व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में राजा वैखानस गोकुल पर शासन करते थे। एक रात, राजा ने एक कष्टदायक सपना देखा कि उनके मृत पिता घोर पीड़ा सह रहे थे। पिता की यह दुर्दशा देखकर राजा अत्यंत दुखी हुए। अगली सुबह, उन्होंने तुरंत अपने राजपुरोहित को बुलाकर पूछा कि वह अपने पिता की आत्मा को कष्टों से मुक्ति दिलाने का मार्ग बताएं। पुरोहित ने कहा, महाराज, इस समस्या का समाधान केवल त्रिकालदर्शी महात्मा पर्वत ही बता सकते हैं।
यह सुनकर, राजा वैखानस तुरंत महात्मा पर्वत के आश्रम पहुँचे और उनसे अपने पिता की मुक्ति का उपाय पूछा। महात्मा ने उन्हें बताया कि आपके पिता ने अपने पिछले जन्म में एक पाप किया था, जिसके कारण वे नरक भोग रहे हैं।
राजा ने नम्रतापूर्वक उस पाप से मुक्ति का उपाय जानना चाहा। महात्मा ने उन्हें उपदेश दिया, "तुम मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन नियम का पालन पूर्ण भक्ति भाव से करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पिता को अवश्य मुक्ति मिल जाएगी।"
राजा ने महात्मा के वचनों को सहर्ष स्वीकार किया और सच्चे हृदय से मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से उनके पिता को नरक के कष्टों से मुक्ति मिली और उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ।
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राजा वैखानस को न केवल श्री हरि का आशीर्वाद मिला, बल्कि उन्हें अपने मुक्त पिता का भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ। यह व्रत पितृ-मुक्ति और मोक्ष दिलाने वाला माना जाता है।
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मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत कथा पढ़ने का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जो जातक मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत कथा पढ़ता है। उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही अगर आपको जीवन में किसी भी प्रकार की कोई समस्या आ रही है तो उससे भी छुटकारा मिल सकता है। व्यक्ति का भाग्योदय हो सकता है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 30 November 2025 at 18:24 IST