अपडेटेड 30 November 2025 at 22:45 IST
Mokshada Ekadashi 2025 Chalisa: मोक्षदा एकादशी के दिन जरूर करें इस चालीसा का पाठ, जीवन के सभी कष्ट होंगे दूर; मोक्ष की होगी प्राप्ति
Mokshada Ekadashi 2025 Chalisa: हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। वहीं इस दिन तुलसी की पूजा भी विधिवत़ रूप से करना चाहिए। अब ऐसे में इस दिन किस चालीसा का पाठ करने से उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।
- धर्म और अध्यात्म
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Mokshada Ekadashi 2025 Chalisa: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी मोक्ष प्राप्ति की मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। साथ ही इस दिन तुलसी की पूजा भी अवश्य करना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को न केवल इस जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि पूर्वजों को भी नरक से छुटकारा मिलकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी दिन श्रीमद्भगवद्गीता जयंती भी मनाई जाती है, जो इस तिथि के महत्व को कई गुना बढ़ा देती है। अब ऐसे में मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी चालीसा का पाठ विशेष रूप से करने का विधान है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
मोक्षदा एकादशी के दिन करें तुलसी चालसी का पाठ
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।
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विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
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कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।
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मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी चालीसा का पाठ करने का महत्व
मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ और पुण्यदायक माना जाता है। इस दिन तुलसी माता और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और तुलसी माता उनकी अत्यंत प्रिय हैं। इस दिन तुलसी चालीसा का पाठ करने से श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तुलसी को माता लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। तुलसी चालीसा का पाठ करने से सभी संकट दूर होते हैं, मानसिक शांति मिलती है, और जीवन में सौभाग्य का आगमन होता है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 30 November 2025 at 22:45 IST