अपडेटेड 29 January 2025 at 07:49 IST
Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या आज, जानिए शुभ मुहूर्त, स्नान-दान का समय और पूजा विधि
Mauni Amavasya 2025: आज मौनी अमावस्या के दिन आपको शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जान लेना चाहिए।
- धर्म और अध्यात्म
- 3 min read

Mauni Amavasya 2025 Muhurat: बुधवार को मौनी अमावस्या का पावन पर्व मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसे मौनी अमावस्या इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन लोग मौन व्रत करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इतना ही नहीं मौनी अमावस्या पर मौन व्रत करने के साथ-साथ स्नान-ध्यान किए जाने की परंपरा भी है।
माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन जो लोग गंगा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, सरस्वती और नर्मदा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसे में अगर आप भी मौनी अमावस्या का व्रत करने जा रहे हैं तो आपको पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जान लेना चाहिए।
मौनी अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त और योग (Mauni Amavasya 2025 Muhurat aur Yog)
पंचांग के अनुसार, माघ अमावस्या 28 जनवरी को रात 07 बजकर 35 मिनट पर शुरू हो चुकी है जिसका समापन आज यानी बुधवार, 29 जनवरी को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर होगा। ऐसे में सनातन धर्म में उदया तिथि के मुताबिक इस साल बुधवार, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जा रही है।
ऐसे में मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। आज यानी बुधवार को को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। इस दिन रात 9 बजकर 22 मिनट पर सिद्धि योग का निर्माण भी होने वाला है जो शुभ कार्य के लिए उत्तम समय माना जाता है। इसलिए आप इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही आप आज के दिन किसी भी समय स्नान के बाद दान का कार्य कर सकते हैं।
Advertisement
मौनी अमावस्या 2025 पूजा विधि (Mauni Amavasya 2025 Puja Vidhi)
- मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- इस दिन बोलना वर्जित होता है, इसलिए सुबह उठते ही मौन व्रत धारण करें।
- फिर, गंगा नदी या अन्य पवित्र स्थान पर स्नान करें। यदि ऐसा संभव न हो, तो घर में पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।
- अब सबसे पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद दक्षिण दिशा में मुख करके पितरों को जल का अर्घ्य दें।
- अब भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को घर के मंदिर में स्थापित कर उनकी पूजा विधिपूर्वक करें।
- इस दौरान विष्णु चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें।
- पूजा, पाठ, और दान-पुण्य करने के बाद आप अपना मौन व्रत खोल सकते हैं।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 29 January 2025 at 07:49 IST