अपडेटेड 8 May 2025 at 12:33 IST

Mohini Ekadashi: मोहिनी एकादशी पर करें माता एकादशी की ये आरती, खूब मिलेगा लाभ

Mata Ekadashi Ki Aarti: एकादशी के मौके पर आपको माता एकादशी की इस आरती का पाठ करना चाहिए।

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Ekadashi
एकादशी | Image: Freepik

Mata Ekadashi Ki Aarti: मोहिनी एकादशी का व्रत आज यानी गुरुवार को रखा जा रहा है। यह दिन विष्णु भगवान को समर्पित होता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। मोहिनी एकादशी के व्रत को करने से आप भगवान विष्णु को अति प्रसन्न कर सकते हैं। इतना ही नहीं आपको इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता एकादशी की भी आरती करनी चाहिए। इससे आपको पूजा का दोगुना फल मिलेगा। तो चलिए देर किस बात की आइए जानते हैं माता एकादशी की आरती के बारे में।

एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata Aarti)

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु-पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति-मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी...॥

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गौरव, ज्ञान, शक्ति देनेवाली, शास्त्रों में वर्णनी॥
ॐ जय एकादशी...॥

मार्गशीर्ष की उत्पन्ना, विश्व तारिणी बन आई।
शुक्ल पक्ष की मोक्षदा, सबको मुक्ति दिलाई॥
ॐ जय एकादशी...॥

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पौष की सफला, शुक्ल की पुत्रदा,
माघ की षटतिला, जया विजया व्रत सदा॥
ॐ जय एकादशी...॥

फाल्गुन की आमलकी, चैत्र की कामदा।
वरुथिनी वैशाख में, मोहिनी अपरा ज्येष्ठ सदा॥
ॐ जय एकादशी...॥

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आषाढ़ में योगिनी, देवशयनी पूजनीय।
श्रावण की कामिका-पवित्रा, आराध्य पुण्य महीय॥
ॐ जय एकादशी...॥

भाद्रपद की अजा-परिवर्तिनी,
आश्विन में इन्द्रा, भवसागर तारिनी॥
ॐ जय एकादशी...॥

कार्तिक की पापांकुशा, रमा सुखदायक।
देवोत्थानी शुभदायिनी, कष्ट-दारिद्र नाशक॥
ॐ जय एकादशी...॥

मार्गशीर्ष की परमा, शुक्ल पक्ष की पद्मिनी।
जो आरती गाय भक्तिभाव से, उसके दुख हरणी॥
ॐ जय एकादशी...॥

जो कोई आरती गाए, श्रद्धा-भक्ति सहित।
जन गुरुदत्ता वास पावे, स्वर्ग लोक सुनिश्चित॥
ॐ जय एकादशी...॥

भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुःख विनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

मात-पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सबके स्वामी॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता।
मैं मूढ़ मति अज्ञानी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय,
मैं तो कुमति॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

दीनबन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे।
अपने हाथ उठाओ,
शरण लगाओ तेरे॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ,
संतन की सेवा॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Kajal .

पब्लिश्ड 8 May 2025 at 12:33 IST