अपडेटेड 26 April 2025 at 09:46 IST
Masik Shivratri 2025: भगवान शिव को करना है प्रसन्न तो जरूर करें इन शिव स्तुति मंत्र का जप, पढ़ें ये आरती
Masik Shivratri 2025 Mantra aur Aarti: मासिक शिवरात्रि के दिन आपको भगवान भोलेनाथ के इन मंत्रों का जप जरूर करना चाहिए।
- धर्म और अध्यात्म
- 2 min read

Masik Shivratri 2025 Mantra: आज यानी शनिवार, 26 अप्रैल को वैशाख महीने की मासिक शिवरात्रि मनाई जा रही है। यह पर्व देवों के देव महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का व्रत और पूजा किए जाने का विधान है। कहते हैं इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऐसे में अगर आप भी अपनी कोई मनोकामना पूरी करना चाहते हैं या शिव जी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आपको मासिक शिवरात्रि पर पूजा करते समय शिव स्तुति मंत्रों के साथ-साथ शिव आरती भी पढ़नी चाहिए। इससे भगवान जल्दी प्रसन्न होकर आप पर अपनी कृपा बनाए रखेंगे। आइए जानते हैं इस बारे में।
शिव स्तुति मंत्र (Shiva Stuti Mantra)
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं
गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम्।
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं
महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम्॥
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं
विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं
सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्॥
Advertisement
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं
गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं
भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्॥
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले
महेशान शूलिन् जटाजूटधारिन्।
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप:
प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप॥
Advertisement
परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं
निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं
तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्॥
न भूमिर्न चापो न वह्निर्न वायु:
न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।
न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो
न यस्यास्ति मूर्तिः त्रिमूर्तिं तमीडे॥
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां
शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।
तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं
प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम्॥
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते
नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य
नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्य॥
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ
महादेव शंभो महेश त्रिनेत्र।
शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे
त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:॥
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे
गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।
काशीपते करुणया जगदेतदेक-
स्त्वं हंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि॥
त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे
त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।
त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश
लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वमूर्ते॥
शिव जी की आरती (Shiv Ji Ki Aarti)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
कर के मध्य कमंडल, चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
त्रिगुणस्वामी जी की आरति, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वाम, सुख संपति पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 26 April 2025 at 09:46 IST