अपडेटेड 18 April 2025 at 08:29 IST
Maa Lakshmi: शुक्रवार को जरूर करें श्री सूक्त का पाठ, मां लक्ष्मी हो जाएंगी प्रसन्न
Maa Lakshmi Puja: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आप श्री सूक्त का पाठ कर सकते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Shri Sukt Path: हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित किया गया है। इस दिन लोग विधि विधान से माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी का व्रत कर उनकी पूजा अर्चना करता है उससे माता प्रसन्न होकर उसके जीवन को खुशियों से भर देती हैं।
ऐसे में अगर आप भी माता को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आपको शुक्रवार के दिन पूजा करते समय श्री सूक्त का पाठ जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि इस पाठ को करने से देवी मां जल्दी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं। तो चलिए जानते हैं कि यह पाठ किस तरह से है।
श्री सूक्त पाठ (Shri Sukt Path)
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह।।
तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरुषानहम्।।
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अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम्।
श्रियं देवीमुपह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्।।
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मस्थिता पद्मवर्णां, तामिहोपह्वये श्रियम्।।
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चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं, श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्रपद्ये, अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे।।
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो, वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु, मा मे अलक्ष्मीः पशुगंधां नयन्तु।।
उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे।।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात्।।
गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोपह्वये श्रियम्।।
मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः।।
कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम।
श्रियं वासय मे कुले, मातरं पद्ममालिनीम्।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि, चिक्लीत वस मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले।।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं, पिंगलां पद्ममालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह।।
आर्द्रां य करिणीं यष्टिं, सुवर्णां हेममालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह।।
तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं, गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्।।
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा, जुहुयादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पंचदशर्चं च, श्रीकामः सततं जपेत्।।
।। इति श्री सूक्त समाप्तम् ।।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 18 April 2025 at 08:29 IST