अपडेटेड 10 October 2025 at 16:55 IST

Karwa Chauth 2025 Vrat Katha: पूजा में इस एक कथा के बिना, अधूरा है करवा चौथ का व्रत

Karwa Chauth 2025 Vrat Katha: हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत सुख-सौभाग्य का कारक माना जाता है। अगर आप व्रत रख रही हैं तो कथा जरूर पढ़ें। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Karwa Chauth 2025 Vrat Katha
Karwa Chauth 2025 Vrat Katha | Image: Meta AI
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Karwa Chauth 2025 Vrat Katha: सनातन धर्म में करवा चौथ का व्रत सुख-समृद्धि का कारक माना जाता है। आज पूरे देश में करवा व्रत का सुहागिन महिलाएं रखी रही हैं। यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-सौभाग्य प्राप्ति के लिए रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से दांपत्य जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो सकती है और सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। 

यह व्रत पति-पत्नी के अटूट बंधन को दर्शाता है। आपको बता दें, करवा चौथ का व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए रखी जाती है। अब ऐसे में इस दिन जो भी महिलाएं व्रत रख रही हैं, उन्हें कथा जरूर पढ़ना चाहिए। 

आइए इस लेख में पूजा करने के दौरान व्रत कथा पढ़ने के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

आज करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं जरूर पढ़ें व्रत कथा 

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एक समय की बात है, एक गाँव में एक नेत्रहीन बुढ़िया रहती थी। उसका एक बेटा और बहू थे। वे लोग बहुत गरीब थे, लेकिन बुढ़िया के मन में भगवान के लिए अथाह श्रद्धा थी। वह रोज नियम से गणेशजी की पूजा-अर्चना किया करती थी। बुढ़िया की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर, स्वयं भगवान गणेश एक दिन उसके सामने साक्षात प्रकट हो गए। उन्होंने बुढ़िया से कहा, बुढ़िया माई, मैं तेरी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ। तू जो चाहे, सो मुझसे मांग ले। बुढ़िया ने हाथ जोड़कर कहा, हे गणराज, मैं तो ठहरी सीधी-सादी बुढ़िया। मुझे तो मांगना ही नहीं आता कि क्या और कैसे मांगू? तब गणेशजी ने उसे उपाय सुझाया, "ठीक है, तो तू अपने बेटे और बहू से पूछकर मांग ले।

बुढ़िया ने अपने बेटे के पास जाकर पूछा, "बेटा, गणेशजी वरदान देने आए हैं। बता, मैं उनके सामने क्या मांगू? बेटा तुरंत बोला, मां, तुम धन मांग लो! हमारी सारी गरीबी दूर हो जाएगी। फिर बुढ़िया ने अपनी बहू से पूछा, बहू, तुम बताओ, मुझे क्या मांगना चाहिए?
बहू ने अपनी इच्छा व्यक्त की और कहा, "मां, आप पोता मांग लो! घर में एक खिलखिलाता बच्चा आ जाएगा। बेटे और बहू की बात सुनकर बुढ़िया ने गहराई से विचार किया। उसने सोचा कि ये दोनों तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे हैं।

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इसी बीच, उसके पड़ोसियों ने भी उसे सलाह दी। उन्होंने बुढ़िया को समझाया, बुढ़िया, तेरी तो अब थोड़ी-सी ही जिंदगी बची है। तुझे धन और पोते का क्या करना? तू तो बस अपनी आँखों की रौशनी मांग ले, ताकि तेरी बची हुई ज़िंदगी सुख से बीत जाए।
बुढ़िया ने बेटे, बहू और पड़ोसियों, सबकी बातें सुनीं। फिर वह अपने घर के भीतर गई और अकेले में सोचने लगी। उसने मन ही मन ठान लिया कि मैं ऐसी चीज़ मांगूंगी, जिसमें बेटा, बहू, मेरा और पूरे परिवार का भला हो, और साथ ही मेरे अपने मतलब की चीज़ें भी मिल जाएं। अगले दिन, श्रीगणेशजी फिर से आए और बोले, बोल बुढ़िया माई, आज तू क्या मांगती है? याद रख, मेरा वचन है जो तू मांगेगी, वही पाएगी। गणेशजी के ये अभय वचन सुनकर, बुढ़िया के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। उसने बड़ी चतुराई के साथ अपनी इच्छा व्यक्त की।

बुढ़िया बोली, हे गणराज, अगर आप मेरी पूजा-भक्ति से सचमुच प्रसन्न हैं, तो मुझे ये वरदान दें। नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों में प्रकाश दें, नाती-पोता दें, पूरे परिवार को सुख दें,और अंत में मोक्ष दें।
बुढ़िया की बात सुनकर, गणेशजी भी चकित रह गए। उन्होंने हंसते हुए कहा, बुढ़िया माँ, तूने तो मुझे ही ठग लिया! एक ही मांग में तूने सबकुछ मांग लिया। फिर गणेशजी ने स्नेहपूर्वक कहा, खैर, जो कुछ तूने मांग लिया, वह सभी तुझे मिलेगा। ऐसा कहकर, भगवान गणेशजी वहीं अन्तर्ध्यान हो गए।

Published By : Aarya Pandey

पब्लिश्ड 10 October 2025 at 16:54 IST