अपडेटेड 19 October 2024 at 11:16 IST

Karwa Chauth 2024: करवा चौथ पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप, पढ़ें ये चालीसा और आरती भी...

Karwa Chauth 2024: करवा चौथ के पावन मौके पर करवा माता की कौन सी आरती, मंत्र और चालीसा का पाठ करें, जानते हैं इस लेख के माध्यम से...

Karwa Chauth 2024
Representative image of Karwa Chauth | Image: Unsplash

Karwa Chauth 2024: करवा चौथ का त्योहार 20 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जा रहा है। हालांकि कुछ लोगों को लग रहा है कि यह पर्व 21 अक्टूबर को है। लेकिन बता दें कि 21 अक्टूबर की सुबह ये त्योहार समाप्त हो रहा है। चूंकि इस त्यौहार में चंद्रमा देखकर अपना व्रत खोला जाता है ऐसे में लोग 20 अक्टूबर को ही इस त्योहार को मना रहे हैं। बता दें कि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रख सुख समृद्धि और सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। ऐसे में यदि आप इस दिन भगवान की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो करवा माता की आरती, मंत्र और चालीसा का पाठ जरूर करें। 

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि करवा चौथ के पावन मौके पर करवा माता की कौन सी आरती, मंत्र और चालीसा का पाठ कर सकते हैं। पढ़ते हैं आगे…

गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
मस्तक  सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
|| गणपति बाप्पा मौर्या ||

करवा चौथ माता की आरती

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी.. ओम जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती.. ओम जय करवा मैया।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे.. ओम जय करवा मैया।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे.. ओम जय करवा मैया।

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करवा चौथ माता के मंत्र

  • ऊँ चतुर्थी देव्यै नम:,
  • ऊँ गौर्ये नम:,
  • ऊँ शिवायै नम: ।।
  • ऊँ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
    प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।।

ये मंत्र बोलकर प्रणाम करें

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:। 
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मृताम्॥

चंद्र चालीसा

शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकर।
चन्द्रपुरी के चन्द्र को, मन मंदिर में धार।।

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।। चौपाई ।।
जय-जय स्वामी श्री जिन चन्दा, तुमको निरख भये आनन्दा।
तुम ही प्रभु देवन के देवा, करूँ तुम्हारे पद की सेवा।।
वेष दिगम्बर कहलाता है, सब जग के मन भाता है।
नासा पर है द्रष्टि तुम्हारी, मोहनि मूरति कितनी प्यारी।।
तीन लोक की बातें जानो, तीन काल क्षण में पहचानो।
नाम तुम्हारा कितना प्यारा , भूत प्रेत सब करें निवारा।।
तुम जग में सर्वज्ञ कहाओ, अष्टम तीर्थंकर कहलाओ।।
महासेन जो पिता तुम्हारे, लक्ष्मणा के दिल के प्यारे।।
तज वैजंत विमान सिधाये , लक्ष्मणा के उर में आये।
पोष वदी एकादश नामी , जन्म लिया चन्दा प्रभु स्वामी।।
मुनि समन्तभद्र थे स्वामी, उन्हें भस्म व्याधि बीमारी।
वैष्णव धर्म जभी अपनाया, अपने को पंडित कहाया।।
कहा राव से बात बताऊं , महादेव को भोग खिलाऊं।
प्रतिदिन उत्तम भोजन आवे , उनको मुनि छिपाकर खावे।।
इसी तरह निज रोग भगाया , बन गई कंचन जैसी काया।
इक लड़के ने पता चलाया , फौरन राजा को बतलाया।।
तब राजा फरमाया मुनि जी को , नमस्कार करो शिवपिंडी को।
राजा से तब मुनि जी बोले, नमस्कार पिंडी नहिं झेले।।
राजा ने जंजीर मंगाई , उस शिवपिंडी में बंधवाई।
मुनि ने स्वयंभू पाठ बनाया , पिंडी फटी अचम्भा छाया।।
चन्द्रप्रभ की मूर्ति दिखाई, सब ने जय-जयकार मनाई।
नगर फिरोजाबाद कहाये , पास नगर चन्दवार बताये।।
चन्द्रसैन राजा कहलाया , उस पर दुश्मन चढ़कर आया।
राव तुम्हारी स्तुति गई , सब फौजो को मार भगाई।।
दुश्मन को मालूम हो जावे , नगर घेरने फिर आ जावे।
प्रतिमा जमना में पधराई , नगर छोड़कर परजा धाई।।
बहुत समय ही बीता है कि , एक यती को सपना दीखा।
बड़े जतन से प्रतिमा पाई , मन्दिर में लाकर पधराई।।
वैष्णवों ने चाल चलाई , प्रतिमा लक्ष्मण की बतलाई।
अब तो जैनी जन घबरावें , चन्द्र प्रभु की मूर्ति बतावें।।
चिन्ह चन्द्रमा का बतलाया , तब स्वामी तुमको था पाया।
सोनागिरि में सौ मन्दिर हैं , इक बढ़कर इक सुन्दर हैं।।
समवशरण था यहां पर आया , चन्द्र प्रभु उपदेश सुनाया।
चन्द्र प्रभु का मंदिर भारी , जिसको पूजे सब नर-नारी।।
सात हाथ की मूर्ति बताई , लाल रंग प्रतिमा बतलाई।
मंदिर और बहुत बतलाये , शोभा वरणत पार न पाये।।
पार करो मेरी यह नैया , तुम बिन कोई नहीं खिवैया।
प्रभु मैं तुमसे कुछ नहीं चाहूं , भव -भव में दर्शन पाऊँ।।
मैं हूं स्वामी दास तिहारा , करो नाथ अब तो निस्तारा।
स्वामी आप दया दिखलाओ , चन्द्र दास को चन्द्र बनाओ।।

।।सोरठ।।
नित चालीसहिं बार , पाठ करे चालीस दिन।
खेय सुगंध अपार , सोनागिर में आय के।।
होय कुबेर सामान , जन्म दरिद्री होय जो।
जिसके नहिं संतान , नाम वंश जग में चले।।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 19 October 2024 at 11:16 IST