Published 07:29 IST, October 19th 2024
Tulsi: तुलसी के पौधे का जन्म कैसे हुआ? पढ़ें वृंदा से तुलसी बनने की कथा
What is the short story of Tulsi plant? तुलसी के पीछे की कहानी क्या है? तुलसी माता कैसे उत्पन्न हुई थीं? तुलसी पिछले जन्म में कौन थीं? जानते हैं इस लेख में...
What is the story behind Tulsi? कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का बेहद महत्व है। मान्यता है कि यदि इस महीने तुलसी की पूजा की जाए तो भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी के पौधे की उत्पत्ति कैसे हुई थी, तुलसी पिछले जन्म में क्या थीं, अगर नहीं, तो…
आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि तुलसी की उत्पत्ति कैसे हुई थी और वह पिछले जन्म में किसका अवतार थीं। पढ़ते हैं आगे…
तुलसी माता कैसे उत्पन्न हुई थीं?
पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्यराज कालनेमी की एक कन्या थी, जिसका नाम वृंदा था। उसका विवाह जालंधर नामक राक्षस से हुआ था। जालंधर ने माता लक्ष्मी को प्राप्त करने की कामना से युद्ध किया परंतु माता लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र से हुई थी, ऐसे में लक्ष्मी ने जालंधर को अपने भाई के रूप में स्वीकार कर लिया। उसके बाद जालंधर माता पार्वती को पाने की इच्छा से कैलाश पर्वत गया और वहां पर वो भगवान शिव का रूप धारण कर माता पार्वती के समीप गया परंतु माता ने उसे पहचान लिया और वह अंतर्ध्यान हो गईं। देवी पार्वती ने क्रोध में आकर सारा वृत्तांत भगवान विष्णु को सुनाया।
जालंधर की पत्नी वृंदा पतिव्रता थी। उसके पतिव्रत धर्म की शक्ति से जालंधर ना मर सकता था ना ही पराजित हो सकता था। ऐसे में वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करना जरूरी था। भगवान विष्णु ने ऋषि का वेश धारण किया और भगवान के साथ दो राक्षस भी थे। राक्षसों को देखकर वृंदा भयभीत हो गई। ऋषि ने उन दोनों राक्षसों को वृंदा की आंखों के सामने भस्म कर दिया। ऐसे में वृंदा उनकी शक्ति देखकर अत्यंत आश्चर्यचकित हुईं। उन्होंने अपने पति के बारे में विष्णु से पूछा तो…
विष्णु जी ने दो वानर प्रकट कर वृंदा को जालंधर का सर दिखा दिया। यह देख वृंदा मूर्छित हो गई। होश में आने पर उन्होंने अपने पति को जीवित करने के लिए ऋषि से आग्रह किया। ऐसे में भगवान ने अपनी माया से जालंधर को जीवित कर दिया लेकिन खुद शरीर में प्रवेश कर गए। वृंदा को इस बात का बिल्कुल एहसास नहीं था कि भगवान विष्णु उनके साथ छल कर रहे हैं। ऐसे में भगवान विष्णु जालंधर का वेश धारण कर पतिव्रता का व्यवहार वृंदा के साथ करने लगे। ऐसे में वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग हो गया और जालंधर युद्ध में हार गया।
जब बाद में इस छल के बारे में वृंदा को पता चला तो उसने क्रोध में आकर विष्णु को शीला होने का श्राप दिया और वह खुद सती हो गईं। जहां पर वृंदा भस्म हुईं वहां तुलसी का पौधा उग गया। भगवान विष्णु ने वृंदा से कहा कि तुम अपने सतित्व धर्म के कारण मुझे महालक्ष्मी से भी अधिक प्रिय हो गई हो अब तुम तुलसी के रूप में मेरे साथ रहोगी।
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Updated 07:33 IST, October 19th 2024