अपडेटेड 2 July 2024 at 13:57 IST
Kanwar Yatra 2024: अगर कांवड़ियों ने की ये गलती तो असफल हो जाती है यात्रा, नहीं मिलेगा पूरा फल
Process of Kanwar Yatra: जो भक्त कांवड़ लेकर जाते हैं उन्हें कांवड़ियां कहा जाता है। यह यात्रा बेहद कठिन और मुश्किल होती है क्योंकि इसमें भक्त पैदल चलते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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What is the process of Kanwar Yatra? शिव के भक्तों के लिए कावड़ यात्रा किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं होती। ऐसे में जो भक्त कांवड़ लेकर जाते हैं उन्हें कांवड़ियां कहा जाता है। यह यात्रा बेहद कठिन और मुश्किल होती है क्योंकि इस यात्रा में भक्त पैदल चलते हैं। हर साल कांवड़ियां लाखों की तादात में हरिद्वार जाते हैं और वहां से गंगाजल लाकर शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को चढ़ाते हैं। ऐसे में बता दें कि जो लोग कांवड़ लेकर आते हैं यदि वे कुछ गलतियां करें तो इससे यात्रा सफल नहीं बल्कि असफल हो सकती है। आज का हमारा आर्टिकल इन्हीं बिंदुओं पर है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे कि कांवड़ियों को यात्रा के दौरान किन चीजों को करने से बचना चाहिए। पढ़ते हैं आगे...
कब से हैं कांवड़?
बता दें कि कावड़ यात्रा सावन महीने से शुरू होती है। ऐसे में इस साल सावन की शुरुआत 22 जुलाई दिन सोमवार को हो रही है। कावड़ की यात्रा भी 22 जुलाई से ही शुरू हो रही है। वहीं शिवरात्रि 2 अगस्त को है यानी यात्रा का समापन भी 2 अगस्त को ही होगा।
कावड़ यात्रा के नियम
बता दें कि जो व्यक्ति कावड़ लेकर एक बार निकल जाता है उसे सात्विक भोजन करना चाहिए। वह बाहर का खाना (पीज्जा, नूडल्स, गोलगप्पे) भी नहीं खा सकता। मांस-मदिरा या शराब का सेवन भी ऐसे व्यक्ति को नहीं करना चाहिए वरना इससे भगवान शिव क्रोधित हो सकते हैं। ध्यान रखें जो लोग कावड़ लेकर जा रहे हैं उन्हें यात्रा के दौरान कावड़ को जमीन पर नहीं रखना चाहिए। वरना यात्रा अधूरी मानी जाती है। कहा जाता है कि यदि कावड़ भूल से नीचे रख गया है तो कांवड़ियों को दोबारा से पवित्र जल भरना होगा।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Garima Garg
पब्लिश्ड 2 July 2024 at 13:56 IST