अपडेटेड 14 July 2024 at 20:48 IST

Devshayani Ekadashi: कैसे पड़ा आषाढ़ माह की एकादशी का देवशयनी नाम? क्या है इसका महत्व

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका नाम देवशयनी कैसे पड़ा। आइए इसके बारे में जानते हैं।

Devshayani Ekadashi
कैसे पड़ा देवशयनी एकादशी का नाम? | Image: Freepik

Kaise Pada Devshayani Ekadashi Ka Naam: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह साल में 24 और महीने में 2 बार आती है। 24 एकादशियों में से कुछ बहुत ही खास होती है, उन्हीं में से एक देवशयनी भी है। देशयनी एकादशी का अपना अलग महत्व है, ऐसे में लोगों के मन में कई बार यह सवाल उठता है कि आखिरी इसका नाम कैसे पड़ा और क्या महत्व है। तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।

देवशयनी एकादशी के नाम और महत्व के बारे में जानने से पहले यह जानते हैं कि आखिर इस साल यह कब पड़ रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर देवशयनी एकादशी का व्रत (Devshayani Ekadashi Vrat) रखा जाता है। इस बार इस तिथि की शुरुआत 16 जुलाई 2024 दिन मंगलवार की रात 8 बजकर मिनट से होगी जो 17 जुलाई दिन बुधवार की रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य होता है ऐसे में देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi Date) का व्रत 17 जुलाई 2024 दिन बुधवार को रखा जाएगा।

कैसे पड़ा आषाढ़ की एकादशी का देवशयनी नाम?

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन से भगवान विष्णु 4 महीनों के लिए शयनकाल यानी सोने के लिए चले जाते हैं। इसीलिए इस एकादशी का नाम देवशयनी एकादशी पड़ा। वहीं देवशयनी एकादशी के चार महीने के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।    

क्या है देवशयनी एकादशी का महत्व?

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इस दिन से जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु चार महीनों के लिए क्षीर सागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं। जब तक वह शयनकाल में रहते हैं, उन दिनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। इन चार महीनों में सावन, भाद्रपद यानी भादो, आश्विन और कार्तिक मास शामिल हैं। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्यों की मनाही होती है।  

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Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 14 July 2024 at 20:48 IST