अपडेटेड 4 August 2024 at 16:31 IST

Hariyali Teej 2024: कैसे हुई हरियाली तीज की शुरुआत, पहली बार किसने रखा था यह व्रत? जानें इसकी खासियत

हरियाली तीज (Hariyali Teej) का व्रत बेहद खास होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस व्रत की शुरुआत कैसे हुई और पहली बार इस व्रत को किसने रखा था। आइए जानते हैं।

Hariyali teej
सबसे पहले किसने रखा था हरियाली तीज का व्रत? | Image: Freepik

Sabse Pehle Kisne Rakha Tha Hariyali Teej Ka Vrat: सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाने वाला हरियाली तीज का व्रत बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस व्रत में माता पार्वती और शंकर जी की साथ में विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। हरियाली तीज का व्रत (Hariyali Teej Vrat) सिर्फ सुहागिन महिलाओं ही नहीं बल्कि कुंवारी कन्याओं के लिए भी खास होता है। महिलाएं जहां इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं, वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की कामना लेकर यह व्रत करती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं इस व्रत की शुरुआत कैसे हुई?

सुहागिनों और कन्याओं के लिए बेहद खास माने जाने वाले हरियाली तीज (Hariyali Teej 2024) के इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस व्रत को सबसे पहले किसने रखा था और इस व्रत की शुरुआत कहां से हुई। अगर आप भी इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो चलिए जानते हैं कि हरियाली तीज (Hariyali Teej) की व्रत सबसे पहले किसने रखा था और इसकी शुरुआत कैसे हुई।

क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज का पर्व? (Kyo Manate Hai Hariyali Teej)

हरियाली तीज के व्रत की शुरुआत और सबसे पहले किसने रखा इसके बारे में जानने से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर यह पर्व मनाया क्यों जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। मान्यता है कि गौरी जी ने भगवान शिव को अपने पति रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की। जिससे प्रसन्न शंकर जी ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रुप में स्वीकार कर लिया। जिसे मां पार्वती और शिव जी के पुनर्मिलन के रुप में जाना जाता है और तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाने लगा।

सबसे पहले किसने रखा था हरियाली तीज का व्रत, कहां से हुई इसकी शुरुआत?

पौराणिक कथाओं के मुताबिक सबसे पहले हरियाली तीज (Hariyali Teej) का व्रत हिमालय राज की पुत्री माता पार्वती (Maa Parvati) ने ही किया था। इस व्रत को करने के बाद ही भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए थे और यहीं से इस व्रत की शुरुआत भी हुई (Kaise Hui Hariyali Teej Ki Shuruat)। वहीं माता पार्वती ने मनचाहे वर के लिए इस व्रत को किया था इसी कारण यह व्रत सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं बल्कि कुंवारी कन्याओं के लिए भी बहुत ही खास होता है। इस व्रत को करके वह मनचाहे वर की प्राप्ति में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 4 August 2024 at 16:31 IST