अपडेटेड 14 August 2025 at 12:57 IST

Krishna Janmashtami Vrat Katha 2025: जन्माष्टमी के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, लड्डू गोपाल की कृपा से मिलेगा संतान सुख का आशीर्वाद

Krishna Janmashtami Vrat Katha 2025: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है और सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। अब ऐसे में अगर भक्त इस दिन व्रत रख रहे हैं, उन्हें व्रत कथा जरूर पढ़ना चाहिए। आइए इस लेख में जन्माष्टमी व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Laddu Gopal
Janmashtami 2025 | Image: Freepik

Krishna Janmashtami Vrat Katha 2025: सनातन धर्म में जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र रहता है। इसलिए इस दौरान कोई भी काम किया जाए तो व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं इस साल जन्माष्टमी का व्रत 16 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। इस दिन ऐसी मान्यता है कि अगर आपके जीवन में किसी तरह की कोई समस्या आ रही है तो आप लड्डू गोपाल की पूजा करें और उनके मंत्रों का जाप करें। इससे व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो सकती है। आपको बता दें, लड्डू गोपाल की पूजा करने से भक्तों के जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो सकती है और मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है। अब ऐसे में इस दिन जो भक्त व्रत रख रहे हैं। वह लड्डू गोपाल की पूजा करने के बाद व्रत कथा जरूर पढ़ें। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन जरूर पढ़ें व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा नगरी पर कंस नाम का एक राजा राज करता था। कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था। जब देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ, तो कंस खुद उन्हें बड़े धूमधाम से विदा करने गया। लेकिन उसी समय आकाशवाणी हुई कि हे कंस जिस देवकी को तू इतनी श्रद्धा से विदा कर रहा है, उसी की आठवीं संतान तेरी मृत्यु का कारण बनेगी।


यह सुनते ही कंस का मन डर और क्रोध से भर गया। उसने तुरंत अपनी बहन और वासुदेव को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया। देवकी ने बहुत विनती की कि उसकी संतान कभी अपने मामा का अनिष्ट नहीं करेगी, लेकिन कंस ने एक न सुनी।

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कारागार में देवकी की एक-एक करके सात संतानें हुईं, और कंस ने उन सभी को जन्म लेते ही मार डाला। सातवीं संतान बलराम थीं, जिन्हें योगमाया ने देवकी के गर्भ से निकालकर वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया। फिर आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।
उनके जन्म लेते ही चमत्कार होने लगे । जेल के दरवाजें अपने-आप खुल गए,पहरेदार सो गए और रास्ते आसान हो गए। वासुदेव श्रीकृष्ण को लेकर गोकुल पहुंचे और उन्हें नंद बाबा और यशोदा मैया को सौंप आए। बदले में वे यशोदा की नवजात कन्या को लेकर कारागार लौट आए।
आगे चलकर यही श्रीकृष्ण बड़े होकर कंस का वध करते हैं और मथुरा को उसके अत्याचार से मुक्त कराते हैं।

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Published By : Aarya Pandey

पब्लिश्ड 14 August 2025 at 12:57 IST