अपडेटेड 6 August 2024 at 22:30 IST
Hariyali Teej Katha: अखंड सौभाग्य का चाहती हैं आशीर्वाद? हरियाली तीज व्रत पर जरूर पढ़ें ये कथा
Hariyali Teej पर विधि-विधान से पूजा अर्चना करने के साथ ही कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। कहते हैं इस कथा को भगवान शिव ने माता पार्वती को खुद सुनाई थी।
- धर्म और अध्यात्म
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Hariyali Teej Vrat Katha: सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी 7 अगस्त 2024 दिन बुधवार को पूरे उत्तर भारत में बड़ी ही धूमधाम से हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं व्रत रखती हैं पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद और लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। अगर आप भी हरियाली तीज का व्रत करने जा रही हैं, तो आपको पूजा के समय व्रत कथा का पाठ करना या सुनन चाहिए तभी इस पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है।
दरअसल, शास्त्रों के मुताबिक हिंदू धर्म में कोई भी पूजा पाठ बिना कथा के पूरा नहीं माना जाता है। अगर आप किसी खास व्रत को रखते हैं और व्रत कथा नहीं पढ़ते हैं, तो साधक पूजा के शुभ फलों की प्राप्ति से वंचित रह जाता है। वहीं अगर बात करें हरियाली तीज व्रत कथा की तो यह और भी खास है, क्योंकि भगवान शिव ने खुद माता पार्वती को यह कथा सुनाई थी। तो चलिए जानते हैं कि इस व्रत पर कौन सी कथा के बिना पूजा का फल नहीं मिलता है।
हरियाली तीज व्रत कथा?
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान शिव माता पार्वती को उनका पूर्व जन्म याद दिलाते हुए कहते हैं कि हे पार्वती ! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए अन्न और जल का त्याग कर बिना सर्दी, गर्मी, बरसात जैसे मौसम की परवाह किए वर्षों तक कठोर तप किया। जिसके बाद मैं तुम्हें वर के रूप में प्राप्त हुआ।
महादेव कथा सुनाते हुए आगे कहते हैं कि हे पार्वती ! एक बार नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा कि मैं विष्णु जी के भेजने पर यहां आया हूं। भगवान विष्णु आपकी पुत्री पार्वती से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की ये बात सुनकर पर्वतराज हिमालय बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने शादी के इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया, लेकिन जब तुम्हारे पिता ने ये बात तुम्हें बताई तो तुम बहुत दुखी हुईं।
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जब तुमने अपनी सखी को यह बात बताई तो उसने घनघोर जंगल में तुम्हें तप करने की सलाह दी। सखी की बात मानकर तुम मुझे पति के रूप में प्राप्त करने के लिए जंगल में एक गुफा के अंदर रेत का शिवलिंग बनाकर तप करने लगीं। शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं कि तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हारी खोज में धरती और पाताल एक कर दिया, लेकिन तुम्हें ढूंढ नहीं पाए। तुम गुफा में सच्चे मन से तप करने में लगी रहीं। सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर प्रसन्न होकर मैंने तुम्हें दर्शन दिए और तुम्हारी मनोकामना को पूरा करने का वचन देते हुए तुम्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
इसके बाद तुम्हारे पिता भी ढूंढते हुए गुफा तक पहुंच गए। तुमने अपने पिता से कहा कि मैं आपके साथ तभी चलूंगी, जब आप मेरा विवाह शिव के साथ करवाएंगे। तुम्हारी हठ के आगे पिता की एक न चली और उन्होंने ये विवाह करवाने के लिए हामी भर दी। शिव जी आगे कहते हैं कि श्रावण तीज के दिन तुम्हारी इच्छा पूरी हुई और तुम्हारे कठोर तप की वजह से ही हमारा विवाह संभव हो सका। शिव जी ने कहा कि जो भी महिला श्रावणी तीज पर व्रत रखेगी, विधि विधान से पूजा करेगी, तुम्हारी इस कथा का पाठ सुनेगी या पढ़ेगी, उसके वैवाहिक जीवन के सारे संकट दूर होंगे और उसकी मनोकामना मैं जरूर पूरी करूंगा।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 6 August 2024 at 22:26 IST