अपडेटेड 4 August 2024 at 09:26 IST
Hariyali Amavasya 2024: हरियाली अमावस्या आज, जानिए स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Hariyali Amavasya 2024: आज हरियाली अमावस्या के दिन आप इस मुहूर्त में स्नान करने के बाद दान व पूजा का कार्य कर सकते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
- 2 min read

Hariyali Amavasya 2024: हिंदू धर्म में अमावस्या का बेहद खास महत्व होता है। इस दिन दान, स्नान और पूजा-पाठ के साथ-साथ पितरों की आत्मा की शांत के लिए श्राद्ध, तर्पण करने का भी विधान होता है। सावन माह में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा की जाती है। आज यानी रविवार, 4 अगस्त को हरियाली अमावस्या मनाई जा रही है।
माना जाता है कि इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी हरियाली अमावस्या के मौके पर स्नान-दान का कार्य करना चाहते हैं तो चलिए जान लेते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त (Hariyali Amavasya 2024 Shubh Muhurat)
श्रावण मास की अमावस्या तिथि शनिवार, 3 अगस्त को 3 बजकर 50 मिनट से शुरू हो चुकी है, जिसका समापन रविवार, 4 अगस्त को शाम 4 बजकर 42 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, हरियाली अमावस्या आज यानी रविवार, 4 अगस्त के दिन मनाई जा रही है। वहीं, बात करें आज के शुभ मुहूर्त की तो आज ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजकर 20 मिनट से लेकर 05 बजकर 02 मिनट के बीच साधक स्नान-दान व पूजा का कार्य कर सकते हैं।
हरियाली अमावस्या की पूजा विधि (Hariyali Amavasya Pujan Vidhi)
- हरियाली अमावस्या के दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें।
- अगर आप किसी नदी में नहाने में असक्षम हैं तो आपको घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए।
- इसके बाद साफ वस्त्र पहनें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले रंग का साफ कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर इस पर स्थापित करें।
- अब शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, फूल, फल आदि चीजें अर्पित करें।
- वहीं, माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें जैसे हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, कुमकुम आदि अर्पित करें।
- इसके बाद शिवजी और मां पार्वती के समक्ष घी का दीपक जलाकर आरती करें और शिव मंत्रों का जाप करें।
- अब भगवान और माता को मालपुआ, खीर, फल और हलवे का भोग लगाएं।
- इसके बाद क्षमा प्रार्थना करें और अर्पित किए गए भोग को प्रसाद के रूप में सभी लोगों को वितरित करें।
- अंत में अपनी श्रद्धा अनुसार किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जरूरत की चीजें दान करें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 4 August 2024 at 09:26 IST