अपडेटेड 18 November 2024 at 15:34 IST

हनुमान जी के चोले में क्या-क्या सामान लगता है? जानें चोला चढ़ाने की सही विधि

Hanuman ji ka chola kaisa hota hai: हनुमान जी को चोला चढ़ाते समय किन सामानों की जरूरत पड़ती है और इसे किस प्रकार से चढ़ाया जाता है। जानते हैं...

Hanuman Ji Ke Upay
hanuman ji ka chola kaisa hota hai | Image: PNG bing/freepik

What is chola for Hanuman ji? मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने का विधान है। बता दें कि इस दिन हनुमान जी के भक्त उन्हें खुश करने के लिए कई तरीके और उपायों को अपनाते हैं। वहीं मंगलवार के दिन हनुमान जी पर चोला भी चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चोला चड़ाने के दौरान किन सामानों की जरूरत पड़ती है और चोला किस प्रकार चढ़ाया जाता है? 

अगर नहीं, तो आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि हनुमान जी का चोला कैसे चढ़ाते हैं और इस दौरान चोला चढ़ाते समय किन समानों की जरूरत पड़ती है। पढ़ते हैं आगे…

हनुमान जी को चोला चढ़ाने की सामग्री

हनुमान जी को चोला चढ़ाने के लिए हनुमान जी का सिंदूर (ऑरेंज), चमेली का तेल या घी, चांदी का या सोने का वर्क और इत्र होना बेहद जरूरी है।

हनुमान जी को चोला चढ़ाने की विधि

  • सबसे पहले आप हनुमान जी के सामने घी का या चमेली का दीपक जलाएं। उसके बाद फिर हनुमान जी को गंगाजल से साफ करें। 
  • उसके बाद एक साथ कपड़े से मूर्ति को पौंछ लें और हनुमान जी के सिंदूर में घी या चमेली के तेल को मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। 
  • अब हनुमान जी के बाएं पैर में चोला यानी कि सिंदूर को लगाकर उसके ऊपर चांदी का वर्क तैयार कर लें।
  • अब हनुमान जी को जनेऊ पहनाएं और उसके बाद हनुमान जी को साफ कपड़े पहनाएं। फिर हनुमान जी का भोग लगाएं उसके बाद उनकी आरती करें।

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

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जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

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लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 18 November 2024 at 15:34 IST