अपडेटेड 12 April 2025 at 09:49 IST
Bajrang Baan: हनुमान जयंती पर जरूर करें बजरंग बाण का पाठ, पूरी होगी हर मनोकामना
Bajrang Baan Ka Path: हनुमान जी की पूज करते समय बजरंग बाण का पाठ अवश्य करना चाहिए।
- धर्म और अध्यात्म
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Hanuman Jayanti Bajrang Baan Ka Path: आज चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती(Hanuman Jayanti 2025) धूमधाम से मनाई जा रही है। सनातन धर्म में हनुमान जयंती का विशेष महत्व है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ है। जिसे देखते हुए हर साल चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान हनुमान की पूजा की जाती है।
अगर आप आज के दिन भगवान हनुमान का व्रत और उनकी पूजा करते हैं तो इससे आपके सभी दुखों का नाश हो जाता है और भगवान की कृपा सदैव आप और आपके परिवार पर बनी रहती है। ऐसे में आपको हनुमान जी की पूजा करते समय बजरंग बाण का पाठ जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं इसके लिरिक्स किस प्रकार से हैं।
बजरंग बाण का पाठ (Bajrang Baan Ka Path)
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करै सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥
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चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी,
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।
जन के काज विलंब न कीजै,
आतुर दौड़ि महा सुख दीजै॥
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जैसे कूदि सिंधु वहि पारा,
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।
आगे जाय लंकिनी रोकी,
मारेहु लात गई सुर लोकी॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा,
सीता निरखि परम पद लीन्हा।
बाग उजाड़ि सिंधु महं बोरा,
अति आतुर यम कातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा,
लूम लपेटि लंक को जारा।
लाह समान लंक जरी गई,
जय जय धुनि सुरपुर महं भई॥
अब विलंब केहि कारण स्वामी,
कृपा करहुं उर अंतर्यामी।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता,
आतुर होइ दुःख करहुं निपाता॥
जय गिरिधर, जय सुख सागर,
सुर समूह समरथ भटनागर।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंत हठीले,
बैरिहिं मारू बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो,
महाराज प्रभु दास उबारो।
ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो,
बज्र गदा हनु विलंब न लावो॥
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा,
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥
सत्य होउ हरि शपथ पायके,
रामदूत धरु मारु धाय के॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा,
दुःख पावत जन केहि अपराधा?
पूजा, जप, तप, नेम अचारा,
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं,
तुमरे बल हम डरपत नाहीं।
पाय परौं कर जोरि मनावौं,
यह अवसर अब केहि गोहरावौं॥
जय अंजनि कुमार बलवंता,
शंकर सुवन धीर हनुमंता।
बदन कराल काल कुल घालक,
राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिशाच, निशाचर,
अग्नि, बैताल, काल मारीमर।
इन्हें मारु तोहि शपथ राम की,
राखु नाथ मरजाद नाम की॥
जनकसुता हरिदास कहावौ,
ताकी शपथ विलंब न लावौ।
जय जय जय धुनि होत अकासा,
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा॥
चरण शरण करि जोरि मनावौं,
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई,
पाय परौं कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता,
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल,
ॐ सं सं सहम परान खल दल॥
अपने जन को तुरत उबारो,
सुमिरत होय आनंद हमारो।
यहि बजरंग बाण जेहि मारो,
ताहि कहो फिर कौन उबारो॥
पाठ करै बजरंग बाण की,
हनुमत रक्षा करै प्राण की।
यह बजरंग बाण जो जापै,
तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे॥
धूप देय अरु जपै हमेशा,
ताके तन नहिं रहे कलेशा॥
दोहा
प्रेम प्रतीति हि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 12 April 2025 at 09:49 IST