अपडेटेड 21 October 2025 at 12:14 IST
Govardhan Puja 2025: 21 या 22 अक्टूबर, कब है गोवर्धन पूजा? जानें क्या है सही पूजा मुहूर्त
Govardhan Puja 2025: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन करने का विधान है। लेकिन कई लोग इस साल गोवर्धन पूजन की तारीख को लेकर असमंजस में फंसे हुए हैं। आइए जानते हैं कि गोवर्धन पूजा 21 या 22 अक्टूबर को है।
- धर्म और अध्यात्म
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Govardhan Puja 2025 Date And Time: पांच दिन के दीपावली महापर्व में गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना करना शुभ माना जाता है। यह दिवाली का उत्सव का बेहद अहम हिस्सा माना जाता है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन करने का विधान है। यह पर्व को भगवान कृष्णा से संबंधित है।
जी हां, पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्णा ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल की रक्षा की थी। मान्यता के अनुसार यह इस पूजा की शुरुआत ब्रज में हुई थी और धीरे धीरे पूरे भारत में प्रचलित हो गई। इस खास मौके पर भारतीय घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर पूजा की जाती है। इस पूजा में महिलाएं लोक गीत भी गाती है। गोवर्धन पूजा को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है कि गोवर्धन पूजा कब है? आइए पूजा की तारीख और शुभ मुहूर्त जानते हैं।
गोवर्धन पूजा कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन करने का विधान है। ऐसे में इस साल शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्टूबर को शाम 5:54 मिनट पर है और इसक समापन 22 अक्टूबर को रात अक्टूबर को रात 8:16 मिनट पर होगा।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
इस साल गोवर्धन पूजा का पहल मुहूर्त 22 अक्टूबर को सुबह 6:26 मिनट से लेकर 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त दोपहर 2:39 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 44 मिनट तक रहने वाला है।
गोवर्धन पूजा महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है। लोककथा के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्णा ने बज्रवासियों और जानवरों को भगवान इंद्रा के प्रकोप से बचाया था। मान्यता है कि भगवान कृष्णा ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी की रक्षा की थी। तब से गोवर्धन पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग तैयार किया जाता है।
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पूजा विधि
सबसे पहले आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाना होता है। इसके बाद इसपर रोली और चावल रखन होता है। उसके बाद पूजा के लिए महाराज के पास दीपक जलाएं। अब फूल और फल चढ़ाकर गोवर्धन की परिक्रमा करें। अंत में पूजा करने के बाद आरती करनी होती है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sahitya Maurya
पब्लिश्ड 21 October 2025 at 12:14 IST