अपडेटेड 8 August 2024 at 16:30 IST

Death: गंगा में ही क्यों बहाई जाती हैं अस्थियां? महाभारतकाल से जुड़ी है कथा...

What is the purpose of asthi visarjan? लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं, जैसे- गंगा में अस्थि विसर्जन क्यों किया जाता है? या अस्थियां गंगा में क्यों बहाते हैं?

story behind asthi visarjan in ganga
गंगा में अस्थि विसर्जन क्यों किया जाता है? | Image: social media

Why are ashes put in Ganga? हिंदू धर्म के अनुसान, न जानें ऐसी कितनी नदियां है जो पूजनीय हैं और जिनका वर्णन भी देखने को मिलता है। हालांकि आज हम बात कर रहे हैं मां गंगा की। आखिर क्यों हमारी अस्थियां मां गंगा के पानी में ही बहाई जाती हैं और इसके पीछे क्या कहानी है, आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। 

आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मरने के बाद हमारी अस्थियों को गंगा में क्यों बहाया जाता है और इसके पीछे कौन सी कथा प्रचलित है। पढ़ते हैं आगे… 

गंगा में अस्थि विसर्जन क्यों किया जाता है? (story behind asthi visarjan in ganga)

इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि मां गंगा को श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त है। ऐसे में जब तक मृत आत्मा की अस्थियां और हड्डियां मां गंगा में तैरती हैं या बसती हैं, तब तक आत्मा को श्री कृष्ण के गोलोक धाम में रहने का मौका मिलता है। वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि भागीरथ माता गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी लोक लेकर आए थे ऐसे में मरने के बाद जब तक व्यक्ति की अस्थियां गंगा में बहती हैं तब तक उसकी आत्मा को स्वर्ग लोक में रहने का मौका मिलता है। बता दें कि राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की मृत्यु हो गई और उसका कारण था कपिल मुनि का श्राप। ऐसे में राजा सगर के वंशज भागीरथ ने घोर तपस्या कर मां गंगा को पृथ्वी लोक पर बुलाया और सगर के पुत्रों को मुक्ति दिलाई। 

अन्य कथा- बता दें कि हस्तिनापुर के राजा शांतनु को मां गंगा से प्रेम हो गया। ऐसे में उन्होंने मां गंगा से शादी करने की इच्छा जताई। परंतु मां गंगा ने कहा कि मैं शादी इसी शर्त पर करूंगी, अगर आप मुझे कुछ भी करने से नहीं रोकेंगे। शांतनु ने उनकी बात मान ली। शादी होने के बाद जब उनका पहला पुत्र हुआ तो मां गंगा ने उसे अपने ही पानी में बहा दिया। यह देखकर शांतनु को बेहद दुख हुआ परंतु वह कुछ नहीं बोल पाए। 

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इसी प्रकार उन्होंने अपने सात पुत्रों को गंगा में बहा दिया। जब वह अपने आठवें पुत्र को गंगा में बहाने जा रही थीं तो शांतनु से देखा नहीं गया और उन्होंने मां गंगा को रोक दिया। उन्होंने कहा कि तुम ऐसा क्यों कर रही हो। मां गंगा ने कहा कि मेरे पुत्रों को वशिष्ठ जी का श्राप है कि वह पृथ्वी लोक में पैदा होंगे और कष्ट भोगेंगे। ऐसे में मैं उन्हें गंगा में प्रवाहित करके उन्हें मुक्ति दिला रही हूं। परंतु अब में आठवें पुत्र को नहीं बहा सकती। अब यह पृथ्वी लोक पर ही कष्ट भोगेगा। भीष्म पितामह मां गंगा के आठवें पुत्र थे। यही कारण है कि जिस प्रकार मां गंगा ने अपने पुत्रों की मुक्ति के लिए उन्हें गंगा में बहाया उसी प्रकार अस्थियों को भी मुक्ति के लिए गंगा में बहाया जाता है। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 8 August 2024 at 16:30 IST