अपडेटेड 26 March 2025 at 11:47 IST
Ganesh Chalisa: करियर में चाहिए सफलता तो बुधवार को जरूर करें गणेश चालीसा का पाठ, होगा धन लाभ!
Ganesh Chalisa: अगर आपको गणेश जी की कृपा पानी है तो आपको बुधवार के दिन उनकी इस चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।
- धर्म और अध्यात्म
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Ganesh Chalisa: हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। इसी प्रकार से बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित किया गया है। इस दिन गणेशी जी (Lord Ganesh) की पूजा और व्रत किए जाने का विधान है। माना जाता है कि प्रथम पूजनीय देवता होने के कारण भगवान गणेश की श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से वह जल्दी प्रसन्न होकर व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
ऐसे में अगर आप भी किसी तरह की कठिनाई या असफल करियर आदि चीजों से परेशान हैं तो आपको बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करते समय गणेश चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से आपको करियर में सफलता मिलने के साथ-साथ आर्थिक रूप से लाभ भी मिलेगा। तो चलिए जानते हैं कि गणेश चालीसा किस प्रकार से है।
गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa Lyrics)
दोहा
जय गणपति सद्गुणों के धाम, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण, मंगल करने वाले, जय जय गिरिजालाल॥
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चौपाई
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगलमय, शुभ कार्य करने वाले, जय हो॥
जै गजबदन, सुखों के दाता,
विश्व के विनायक, बुद्धि के विधाता॥
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वक्रतुण्ड, शुचि शुण्ड, सुहावना,
तिलक त्रिपुण्ड, भाल पर मन को भाने वाला॥
राजत मणि, मुक्तन की माला,
स्वर्ण मुकुट, शिर पर विशाल नेत्रों वाला॥
पुस्तक, पाणि में कुठार और त्रिशूल,
मोदक भोग और सुगंधित फूल॥
सुंदर पीताम्बर तन पर सजित,
चरण पादुका मुनियों के मन को राजित॥
धन्य शिव का पुत्र, षडानन का भाई,
गौरी के लालन, विश्व विख्यात है आप॥
ऋद्धि-सिद्धि चंवर से सुसज्जित,
मुषक वाहन पर शोभित द्वार पर बैठित॥
कहें जन्म की शुभ कथा तुम्हारी,
सर्वथा शुद्ध, पावन और मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज की कुमारी,
पुत्र प्राप्ति के लिए तप की थी भारी॥
यज्ञ पूर्ण हुआ जब अनूपा,
तब पहुंचे तुम, ब्राह्मण रूप में रूपा॥
अतिथि समझकर गौरी ने सेवा की,
बहुविधि सेवा से प्रसन्न हो तुमने वर दिया॥
माता-पिता के हित तप किया तुमने,
धन्य हुआ वह समय जब वर प्राप्त किया॥
मिलहि पुत्र तुम्हें, बुद्धि विशाला,
बिना गर्भ धारण किए यह काला॥
गणनायक गुणों के ज्ञान का निधि,
पहले पूजे जाने वाले भगवान॥
ऐसा कहा अन्तर्ध्यान रूप में,
पालक रूप में बच्चा बन तुम आए॥
बच्चा रुदन करता, तुमने ठाना,
देखकर माँ का सुख नहीं समाना॥
सकल दुनिया में, सुखमंगल गाने लगे,
नाभि से देवता और पुष्पों की वर्षा होने लगी॥
शिव, उमा, सबको आनंद लुटाते हुए,
सभी देवता और मुनि बालक को देखने आए॥
अधिक आनंद और मंगल से सजा,
शनि राजा भी देखने आए॥
निज अवगुण और शनि ने मन में विचार किया,
बालक को देखने की इच्छा नहीं हुई॥
गिरिजा के मन में बढ़ा संशय,
उत्सव का आनंद शनि के बिना अधूरा॥
शनि ने कहा, मन सकुचाते हुए,
“क्या करू, बच्चा मुझे दिखाई क्यों?”
उमा ने कहा, “शनि, इस बच्चे को देखो।”
शनि के नजरों से वह बालक आकाश में उड़ गया,
गिरिजा और गिरी ने विकल हो धरती को पकड़ लिया॥
दुःख और हाहाकार के साथ कैलाश में मच गया,
शनि ने देखा और बालक को नष्ट कर दिया॥
तुरंत गरुड़ पर चढ़कर विष्णु की ओर बढ़े,
गजचक्र काटा और बालक को वापस लाए॥
बालक का सिर लकर ऊपर लाया,
प्राण मंत्र पढ़कर शंकर ने बालक को बचाया॥
गणेश का नाम लिया, शम्भु से वर मिला,
प्रथम पूजे जाने वाले बुद्धि के देवता, वर मिला॥
शिव ने बुद्धि की परीक्षा ली,
पृथ्वी पर प्रदक्षिणा की ली थी॥
फिर चले षडानन, भ्रमित हो गए,
तुमने बैठकर बुद्धि का उपाय रचा॥
माता-पिता के चरणों में तिनके सात प्रदक्षिणा की,
गणेश को देखा और शिव हर्षित हो उठे॥
आकाश से देवताओं ने फूलों की वर्षा की,
तुम्हारी महिमा को बुद्धि ने बढ़ाया॥
शेष, सहस्त्रमुख देवता भी तुम्हारी महिमा का गुणगान नहीं कर पाए,
मैं मूर्ख, दुखी और विवश, तुम्हारी विनय करता हूँ॥
रामसुंदर प्रभु के भक्तों में,
जग प्रयाग, ककरा और दुर्वासा के॥
अब प्रभु दया करें, कृपया करें,
अपनी शक्ति और भक्ति दें मुझे॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करें और ध्यान लगाएं,
नित नव मंगल घर में बसाएं, संसार में सम्मान पाएं॥
सम्बंध सभी दशों से, ऋषि पंचमी पर मनाएं,
पूरण चालीसा हुआ, मंगल मूर्ति गणेश॥
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 26 March 2025 at 11:47 IST