अपडेटेड 4 May 2024 at 10:52 IST
Varuthini Ekadashi: वरुथिनी एकादशी व्रत का चाहिए पूरा फल तो पूजा में जरूर पढ़ें ये कथा
Ekadashi का व्रत बिना व्रत के अधूरा माना जाता है। अगर आप भी वरुथिनी एकादशी का व्रत (Vrat) करने जा रहे हैं, तो पूजा का पूरा फल पाने के लिए यह कथा जरूर पढ़ें।
- धर्म और अध्यात्म
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Varuthini Ekadashi Vrat Katha 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। यह तिथि जगत के पालन हार श्रीहरि विष्णु को समर्पित किया गया है। कहते हैं Varuthini Ekadashi के दिन इनकी पूजा अर्चना करने के साथ ही व्रत करने से साधक को 1000 यज्ञों के बराबर का पुण्य मिलता है। हलांकि यह व्रत तभी पूरा होता है जब आप पूजा में एकादशी व्रत कथा का पाठ करते या सुनते हैं।
दरअसल, हिंदू धर्म में कोई भी व्रत बिना कथा के पूरा नहीं माना जाता है। वहीं बात जब एकादशी की हो तो इसमें कथा का पाठ करना और भी जरूरी हो जाता है। वहीं साल में 24 और महीने में 2 बार पड़ने वाली एकादशियों का नाम और महत्व (Varuthini Ekadashi Mahatav) के साथ-साथ कथाएं भी अलग होती है। शास्त्रों के मुताबिक हर एकादशी की अपनी एक अलग कहानी है। वहीं कल वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन कौन सी कथा (Varuthini Ekadashi Vrat Katha) का पाठ करने से आपको व्रत का पूरा फल मिलेगा।
वरुथिनी एकादशी व्रत कथा (Varuthini Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2024) व्रत के महत्व के बारे में पूछा। तब श्री कृष्ण ने उन्हें वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) के बारे में बताते हुए बताया कि यह कितना फलदायी है। साथ ही इससे जुड़ी एक कथा भी सुनाई।
श्री कृष्ण की कथा (Varuthini Ekadashi Katha) के मुताबिक बहुत समय पहले नर्मदा नदी के तट पर राजा मांधाता नाम के एक राजा राज करते थे। वह बहुत ही दानी और धर्मात्मा पुरुष थे उनके चर्चे दूर-दूर तक फैले हुए थे। एक बार वह जंगल में तपस्या कर रहे थे, तभी वहां एक भालू आ गया और उनका पैर चबाने लगा। फिर धीरे-धीरे तपस्या में लीन राजा को घसीट कर जंगल के अंदर ले गया, जिसके कारण राजा की तपस्या भंग हो गई। इस बीच राजा काफी घायल भी हो गए। तब उन्होंने मन ही मन भगवान श्री हरि विष्णु का ध्यान किया और अपने प्राणों की रक्षा के लिए उनसे प्रार्थना की।
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ऐसे में भक्त की पुकार पर भगवान विष्णु उसकी मदद के लिए भालू के सामने प्रकट हुए और उसे अपने चक्र से मार गिराया। भालू तो मर गया लेकिन भालू के हमले की कारण राजा मांधाता अपाहिज हो गए। इसपर उन्हें काफी दुख हुआ उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का दर्द झेलना पड़ रहा था। ऐसे में उन्होंने भगवान विष्णु से पूछा की आखिरकार उन्हें यह किन कर्मों की सजा भी मिली है। साथ ही राजा ने श्री कृष्ण (Shri Krishna) से शारीरिक और मानसिक पीड़ा को दूर करने का उपाय पूछा।
राजा के पूछने पर भगवान विष्णु ने कहा कि यह तुम्हारे पुराने कर्मों का फल है जिसे आज तुम भोग रहे हो। इसे दूर करने के लिए तुम मथुरा जाकर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखो और साथ ही मेरे वराह अवतार की पूजा करो। ऐसा करने से दुख दूर होंगे और सभी कष्टों से छुटकारा मिलेगा। कहते हैं कि जो भी जातक वरुथिनी एकादशी का व्रत (Varuthini Ekadashi Vrat) रखता है उसके जीवन से सभी कष्ट मिट जाते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 3 May 2024 at 17:57 IST