अपडेटेड 28 November 2025 at 12:05 IST
Ekadashi 2025: दिसंबर के महीने में मोक्षदा के अलावा कौन-कौन सी आएगी एकादशी? जानें सभी के पूजा के नियम, पारण, शुभ मुहूर्त और विधि
Ekadashi 2025 Kab Hai: अगर आप भगवान विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति चाहते हैं, तो इन एकादशियों का व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक जरूर करें। यह व्रत न सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति का रास्ता खोलता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी भरता है।
- धर्म और अध्यात्म
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Ekadashi Vrat December 2025 List: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है और हर महीने शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि विधि-विधान से एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति व मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो चलिए जानते हैं दिसंबर 2025 में कौन-कौन सी एकादशी पड़ेगी और उनका पूरा विवरण।
मोक्षदा एकादशी
दिसंबर 2025 के महीने की यह पहली एकादशी होती है। पंचांग के अनुसार दिसंबर महीने की पहली एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी होगी। एकादशी तिथि 01 दिसंबर 2025, सोमवार मानी जाएगी, लेकिन इसका आरंभ 30 नवंबर 2025, सुबह 09:29 बजे से लेकर 01 दिसंबर 2025, रात 07:01 बजे तक रहेगा। वहीं पारण का समय 02 दिसंबर 2025, मंगलवार सुबह 06:57 बजे से 09:03 बजे तक रहेगा।
मोक्षदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से मोक्ष की प्राप्ति और पापों के नाश के लिए किया जाता है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सफला एकादशी
दिसंबर 2025 के महीने की यह दूसरी एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी होगी। यह एकादशी 15 दिसंबर 2025, सोमवार को मनाई जाने वाली है, लेकिन तिथि का आरंभ: 14 दिसंबर 2025, शाम 06:49 बजे ही हो जाएगा। वहीं एकादशी 15 दिसंबर 2025, शाम 09:19 बजे के दिन समाप्त होगी।
इस एकादशी के पारण का समय 16 दिसंबर 2025, मंगलवार से लेकर सुबह 07:07 बजे से 09:11 बजे तक रहेगा। सफला एकादशी का व्रत जीवन की बाधाओं को दूर करने और अधूरे कार्यों को पूर्ण करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
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एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व क्या हैं?
- यह व्रत भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा दिलाता है।
- एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं।
- इसे पापों से मुक्ति और पुण्य प्राप्ति का श्रेष्ठ साधन माना गया है।
- व्रती को मानसिक शांति, आत्मिक सुख और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- मान्यता है कि इस व्रत से घर बैठे तीर्थ दर्शन के बराबर पुण्य फल मिलता है।
एकादशी व्रत की पूजा विधि
- सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें।
- पीले फूल, तुलसी दल और दीपक अर्पित करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
- इस दिन व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- दिनभर फलाहार करें या निर्जल व्रत रखें।
- अगले दिन शुभ मुहूर्त में पारण करें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 28 November 2025 at 11:27 IST