अपडेटेड 18 October 2025 at 20:06 IST

Diwali 2025 Significance of Diya: दिवाली पर सिर्फ मोमबत्ती नहीं, ज्योतिष ने बताया दीये जलाना क्यों है जरूरी?

Diwali 2025 Puja: दिवाली के दिन हम सभी अपने घरों के दरवाजें बंद नहीं करते हैं और दीपक जलाकर खुशी से इस खूबसूरत त्योहार को मनाते हैं। इस दिन दीये को जलाने का महत्व अधिक होता है।

diwali 2025 significance of diya to bring happiness and prosperity to life and to get ma lakshmi blessings
diwali 2025 significance of diya to bring happiness and prosperity to life and to get ma lakshmi blessings | Image: Meta AI

दिवाली की रात जब पूरा आकाश दीपों की रोशनी से जगमगाता है, तो हर घर में एक ही संकल्प जलता है कि अंधकार पर प्रकाश की जीत होगी।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम सिर्फ मोमबत्तियां क्यों नहीं जलाते, और मिट्टी के दीये को इतना पवित्र क्यों माना जाता है?
ज्योतिष डॉ मधु कोटिया, आध्यात्मिक उपचारक और परंपरा दोनों मानते हैं कि दीया सिर्फ रोशनी का साधन नहीं, बल्कि जीवन का प्रतीक माना गया है।

दीये का असली अर्थ

एक छोटा-सा मिट्टी का दीया देखने में साधारण लगता है। मिट्टी का प्याला, रूई की बत्ती और थोड़ा-सा तेल या घी। लेकिन इसका अर्थ उतना ही गहरा है जितनी इसकी लौ की चमक।

संध्या के समय जब पहला दीया जलाया जाता है, तो वह क्षण बहुत खास होता है, इस समय दिन और रात एक-दूसरे से मिलते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि प्रकाश का अर्थ अंधकार को मिटाना नहीं, बल्कि उसमें राह ढूंढना है। दीया अंधकार को खत्म नहीं करता, वह सिखाता है कि उसमें भी कैसे देखा जाए।

दीये के हर हिस्से का एक अर्थ है

  • मिट्टी का प्याला - धरती और विनम्रता का प्रतीक है। यह कहता है, “अपने इरादों को सच्चाई की जमीन पर रखो।”
  • तेल या घी -हमारी मेहनत और कर्म हैं। जो भी हम रोज करते हैं, प्रार्थना, काम, सेवा। वही इसका ईंधन है।
  • रूई की बत्ती - हमारा ध्यान और एकाग्रता है। पतली, नाज़ुक, लेकिन जब संभाली जाए तो अग्नि को संभाल लेती है।
  • लौ - यह चेतना और ज्ञान का प्रतीक है। जब बाकी सब संतुलन में हों, तभी यह लौ बिना जलाए सबको गरमाहट देती है।

दीया एक जिम्मेदारी भी सिखाता है

दीया बिजली की रोशनी की तरह स्वतः नहीं जलता। उसे हमें अपनी देखभाल, धैर्य और श्रद्धा से जलाए रखना होता है। जैसे दीए की लौ को हवा से बचाना पड़ता है, वैसे ही समृद्धि और संबंधों की लौ को भी संभालना पड़ता है।सफलता सिर्फ मिलने से नहीं आती, उसे संभालना और निभाना भी उतना ही जरूरी है।

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दीया जहां रखो, वही उसका अर्थ बदल जाता है

  • दहलीज पर रखा दीया - स्वागत और सौभाग्य का प्रतीक है।
  • मंदिर या पूजा स्थान पर रखा दीया - भक्ति का प्रतीक बन जाता है।
  • खिड़की पर रखा दीया - किसी लौटते हुए व्यक्ति के लिए आशा और मार्गदर्शन का प्रतीक है।

दीया हमें खुद से जोड़ता है

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अगर आप ध्यान से देखें तो जब मन अशांत होता है, दीए की लौ भी हिलने लगती है और जब मन शांत होता है, लौ भी स्थिर हो जाती है।
यह हमें याद दिलाती है कि हमारी आंतरिक शांति ही बाहरी स्थिरता बनाती है।
दो दीए साथ जलें तो एक-दूसरे की रोशनी बढ़ जाती है।

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दिवाली के दिन ही नहीं, बल्कि रोज शाम को एक दीया जलाना भी शुभ माना जाता है। दीया सिखाता है कि भावना बदलते ही अर्थ भी बदल जाता है।

दीया एक वादा है

दीया सिर्फ अंधकार को मिटाने का नहीं, बल्कि दूसरों के लिए प्रकाश बनने का वादा है।
उसकी लौ हमें सिखाती है कि हम हवा में भी स्थिर रहें, खुद जलें पर दूसरों को रोशनी दें, और जब तेल कम हो जाए, तो कृतज्ञता और हिम्मत से खुद को फिर से भर लें।

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इस दिवाली, जब आप दीया जलाएं, तो उसे सिर्फ परंपरा न समझें। यह आपके भीतर की रोशनी का प्रतीक है।  वह जो राह दिखाती है, गर्माहट देती है, और जीवन को सुंदर बनाती है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Samridhi Breja

पब्लिश्ड 18 October 2025 at 20:06 IST