अपडेटेड 18 October 2025 at 18:47 IST
Diwali Maa Lakshmi Katha: दिवाली पर इस एक कथा के बिना अधूरी है मां लक्ष्मी की पूजा, होगी धन की कमी दूर
Diwali 2025 Mahalakshmi Katha: दिवाली की पूजा केवल दीप जलाने से पूरी नहीं होती, बल्कि मां लक्ष्मी की कथा सुनना भी उतना ही आवश्यक है। यह कथा हमें न सिर्फ भक्ति की भावना से जोड़ती है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता, स्थिरता और धन की बरकत लाती है।
- धर्म और अध्यात्म
- 4 min read

दिवाली का त्योहार धन और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की विशेष पूजा की जाती है। माना जाता है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और जो घर साफ-सुथरा, रोशनी से जगमगाता और श्रद्धा से भरा होता है, वहां स्थायी रूप से वास करती हैं।
लेकिन बहुत लोग यह नहीं जानते कि मां लक्ष्मी की पूजा तब तक पूरी नहीं मानी जाती जब तक महालक्ष्मी कथा न सुनी जाए। यह कथा सुनने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर से दरिद्रता दूर होती है।
दिवाली पर महालक्ष्मी कथा सुनना क्यों जरूरी है?
दिवाली की पूजा में लक्ष्मी कथा का विशेष महत्व है। यह कथा न केवल पूजा को पूर्ण बनाती है, बल्कि मन को भक्ति से भर देती है। ज्योतिष और पुराणों के अनुसार, जो व्यक्ति दिवाली की रात लक्ष्मी कथा सुनता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं होती और जीवन में स्थिरता आती है।
महालक्ष्मी जी की कथा
एक समय की बात है। एक नगर में एक बहुत ही नेक और धर्मपरायण साहूकार रहता था। उसकी एक सुशील और संस्कारी बेटी थी। वह हर सुबह अपने घर के सामने खड़े पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाया करती थी, क्योंकि उस पीपल वृक्ष में मां लक्ष्मी का वास माना जाता था।
एक दिन जब वह लड़की रोज की तरह पीपल पर जल चढ़ा रही थी, तभी मां लक्ष्मी स्वयं उसके सामने प्रकट हो गईं। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा -
“बेटी, मैं तुम्हारी भक्ति और सेवा से बहुत प्रसन्न हूं। मैं चाहती हूं कि तुम मेरी सहेली बन जाओ।”
Advertisement
लड़की विनम्रता से बोली -
“मां, यह तो मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है, लेकिन पहले मैं अपने माता-पिता से पूछ लूं।”
वह घर जाकर सब बातें अपने माता-पिता को बताई। वे बहुत खुश हुए और बोले - “बेटी, यह तो बहुत बड़ा आशीर्वाद है। अवश्य ही तुम मां लक्ष्मी की सहेली बनो।”
इस तरह वह लड़की मां लक्ष्मी की प्रिय सहेली बन गई।
Advertisement
लक्ष्मी जी का निमंत्रण
कुछ समय बाद मां लक्ष्मी ने अपनी सहेली को भोजन पर बुलाया।
जब साहूकार की बेटी उनके घर पहुंची, तो लक्ष्मी जी ने उसका बहुत आदर-सत्कार किया।
उसे सोने-चांदी के बर्तनों में भोजन कराया, रेशमी वस्त्र पहनाए और सोने की चौकी पर बैठाया।
भोजन के बाद मां लक्ष्मी ने कहा - “बेटी, अब कुछ दिनों बाद मैं तुम्हारे घर आऊंगी।”
लड़की ने विनम्रता से कहा - “अवश्य मां, आप आइए।”
वह घर लौटी और सारी बातें अपने माता-पिता को बताईं।
बेटी की चिंता और पिता की सलाह
यह सुनकर उसके माता-पिता बहुत प्रसन्न हुए, लेकिन बेटी थोड़ी उदास हो गई।
पिता ने पूछा - “क्या हुआ बेटी, तुम उदास क्यों हो?”
तो उसने कहा - “मां लक्ष्मी का वैभव बहुत बड़ा है। मैं कैसे उनका स्वागत कर पाऊंगी?”
पिता ने प्यार से कहा -
“बेटी, तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं। बस अपने घर को अच्छी तरह साफ करना, आंगन लीपना और श्रद्धा से जितना बन सके, प्रेमपूर्वक भोजन बनाना। मां लक्ष्मी तो भावना से प्रसन्न होती हैं, भोग से नहीं।”
अद्भुत चमत्कार
पिता की बात खत्म ही हुई थी कि अचानक एक चील उड़ती हुई आई और उनके आंगन में एक नौलखा हार गिरा गई।
यह देखकर सभी हैरान रह गए। बेटी को बहुत खुशी हुई।
उसने उस हार को बेचकर घर को सुंदर सजाया, जमीन की सफाई की, सोने की चौकी और रेशमी कपड़े खरीदे और प्रेम से मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी की।
मां लक्ष्मी का आगमन
कुछ दिन बाद मां लक्ष्मी उसके घर आईं।
साहूकार की बेटी ने उन्हें सोने की चौकी पर बैठने के लिए कहा, लेकिन मां लक्ष्मी मुस्कुराईं और बोलीं –
“बेटी, इस पर तो राजा-रानियां बैठते हैं। मैं तो साधारण आसन पर ही बैठूंगी।”
उन्होंने जमीन पर आसन बिछाया और बहुत प्रेम से बना भोजन ग्रहण किया।
मां लक्ष्मी उसकी श्रद्धा, सादगी और सच्चे मन से बहुत प्रसन्न हुईं।
उन्होंने आशीर्वाद दिया -
“तुम्हारे घर में कभी धन और सुख की कमी नहीं होगी।”
उस दिन के बाद से साहूकार के घर में धन-धान्य, समृद्धि और खुशहाली की वर्षा होने लगी।
प्रार्थना
हे मां महालक्ष्मी!
जिस प्रकार आपने साहूकार की बेटी और उसके परिवार पर अपनी असीम कृपा बरसाई,
वैसे ही अपने सभी भक्तों के घरों में सुख, शांति और समृद्धि का वास बनाए रखें।
जय मां लक्ष्मी!
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Samridhi Breja
पब्लिश्ड 18 October 2025 at 18:45 IST