अपडेटेड 31 October 2025 at 11:01 IST
Dev Deepawali Kab Hai 2025: देव दीपावली कब मनाया जाएगा? जानें सही तिथि, मुहूर्त और पूजा का महत्व
Dev Deepawali Kab Hai 2025: हिंदू पंचांग के हिसाब से कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दीपावली मनाने की मान्यता है। अब ऐसे में आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि देव दीपावली कब मनाया जाएगा?
- धर्म और अध्यात्म
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Dev Deepawali Kab Hai 2025: दीपावली के ठीक 15 दिन बाद आता है वह पावन पर्व जिसे हम 'देव दीपावली' या 'देवताओं की दिवाली' कहते हैं। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्व रखता है। पौराणिक कथाएं और महत्व मान्यता है कि इसी शुभ दिन पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक शक्तिशाली राक्षस का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए इस दिन शिवजी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें मनचाहे फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह दिन सृष्टि के पालक भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के धरती पर प्रकट होने से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि देव दीपावली के दिन काशी में स्वयं देवी-देवता दिवाली मनाने के लिए आते हैं। इसलिए इस दिन दीप जलाने का विशेष महत्व होता है।
अब ऐसे में इस साल देव दीपावली कब मनाया जाएगा और शुभ मुहूर्त क्या है? आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
देव दीपावली कब मनाया जाएगा?
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का आरंभ इस बार 4 नवंबर 2025 को रात 10 बजकर 36 मिनट पर हो रहा है। और इसका समापन अगले दिन यानी 5 नवंबर को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर होगा।
हिंदू पंचांग के नियमानुसार, चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्यास्त 5 नवंबर बुधवार को होगा। इसलिए देव दीपावली इसी दिन मनाया जाएगा।
देव दीपावली की तिथि और मुहूर्त क्या है?
देव दिवाली के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:15 बजे से 7:50 बजे तक रहेगा। इस दौरान भगवान शिव, विष्णु और मां गंगा की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है।
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देव दीपावली के दिन पूजा करने का महत्व है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक शक्तिशाली राक्षस का वध किया था। इस खुशी में सभी देवताओं ने काशी में दीप जलाकर उत्सव मनाया था। इसलिए इस दिन भगवान शिव की पूजा करने और उनके मंत्रों का जाप करने से हर इच्छा पूरी होती है। ऐसी मान्यता है कि इस पावन तिथि पर सभी देवी-देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं और गंगा नदी में स्नान कर दीपदान करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने और दीपदान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 31 October 2025 at 11:01 IST