अपडेटेड 31 October 2025 at 09:40 IST

Akshay Navami Stotra 2025: आज अक्षय नवमी के दिन करें अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ, होगा धन लाभ और मिलेगा अक्षय फल

Akshay Navami Stotra 2025: हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। अब ऐसे में इस दिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से भाग्योदय हो सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Akshay Navami Stotra 2025
Akshay Navami Stotra 2025 | Image: Freepik

Akshay Navami Stotra 2025: सनातन धर्म में अक्षय नवमी को सुख-समृद्धि का कारक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। 

ऐसी मान्यता है कि अगर आपके जीवन में किसी भी तरह की कोई परेशानी आ रही है तो अक्षय नवमी के दिन पूजा-पाठ करने से शुभ परिणाम मिल सकते हैं।  

आज अक्षय नवमी का व्रत रखा जा रहा है।  इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आवंले के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है। अब ऐसे में इस दिन  एक ऐसा चमत्कारी स्तोत्र है, जिसका जाप करने से सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी विस्तार से जानते हैं।

अक्षय नवमी के दिन करें अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ  

आद्य लक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये,
मुनिगण वंदित मोक्ष प्रदायिनी, मंजुल भाषिणी वेदनुते।
पंकजवासिनी देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणी शान्तियुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, आद्य लक्ष्मी परिपालय माम्।।

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धान्यलक्ष्मी
असि कलि कल्मष नाशिनी कामिनी, वैदिक रूपिणी वेदमयी,
क्षीर समुद्भव मंगल रूपणि, मन्त्र निवासिनी मन्त्रयुते।
मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।

धैर्यलक्ष्मी
जयवर वर्षिणी वैष्णवी भार्गवी, मन्त्र स्वरूपिणि मन्त्र,
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनी शास्त्रनुते।
भवभयहारिणी पापविमोचिनी, साधु जनाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम्।।

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गजलक्ष्मी
जय जय दुर्गति नाशिनी कामिनी, सर्व फलप्रद शास्त्रीय,
रथ गज तुरग पदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणी पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, गजरूपेणलक्ष्मी परिपालय माम्।।

संतानलक्ष्मी
अयि खगवाहिनि मोहिनी चक्रिणि, राग विवर्धिनि ज्ञानमये,
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम्।।

विजयलक्ष्मी
जय कमलासिनी सद्गति दायिनी, ज्ञान विकासिनी ज्ञानमयो,
अनुदिनम र्चित कुमकुम धूसर, भूषित वसित वाद्यनुते।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शंकरदेशिक मान्यपदे,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विजयलक्ष्मी परिपालय माम्।।

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विद्यालक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोक विनाशिनी रत्नम,
मणिमय भूषित कर्णभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्।।

धनलक्ष्मी
धिमिधिमि धिन्दिमि धिन्दिमि, दिन्धिमि दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये,
घुमघुम घुंघुम घुंघुंम घुंघुंम, शंख निनाद सुवाद्यनुते।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धनलक्ष्मी रूपेणा पालय माम्।।
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विष्णु वक्ष:स्थलारूढ़े भक्त मोक्ष प्रदायिनी।।
शंख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जय:।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मंगलम् शुभ मंगलम्।।

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 31 October 2025 at 09:40 IST