अपडेटेड 15 January 2024 at 11:51 IST
Ram Mandir: त्रेता-द्वापर युग का इस तपोभूमि से खास नाता, भगवान विष्णु ने दो अवतारों में की थीं लीला
Relation Of Lord Vishnu with Chitrakoot: चित्रकूट पर्वत से द्वापर और त्रेता युग सहित भगवान विष्णु के दो अवतारों श्रीराम और श्रीकृष्ण से खास नाता रहा है।
- धर्म और अध्यात्म
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Chitrakoot: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जनवरी को महाराष्ट्र के नासिक का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने पंचवटी में एक महाअनुष्ठान किया। आपको बता दें कि पंचवटी वही जगह है जहां पर भगवान राम ने अपने वनवास के अंतिम दो साल बिताए थे। पंचवटी से माता सीता का अपहरण हुआ था और भगवान राम ने उनकी तलाश में रावण का वध किया और उसके बाद लंका विजय की थी। इसके पहले के 12 साल उन्होंने चित्रकूट में लक्ष्मण और सीता के साथ रहकर संन्यासी जीवन बिताया था।
स्टोरी में आगे पढ़ें...
- किस तपोभूमि का है रामायण और महाभारत में जिक्र?
- भगवान राम के बाद श्रीकृष्ण ने भी इस जगह पर की लीला?
- चित्रकूट के कामद गिरि पर भगवान विष्णु के दो अवतारों की लीला?
भगवान राम और माता सीता के विवाह के कुछ ही दिनों के बाद अयोध्या के राजा दशरथ ने राम के राज्यभिषेक का ऐलान कर दिया था। जब पूरे राज्य में राम के राजा बनने की तैयारियां चल रहीं थीं तभी कैकेई ने राजा दशरथ से दो वरदान मांग लिए जिसके मुताबिक पहले भरत को राजगद्दी और दूसरे के मुताबिक राम को 14 वर्षों का वनवास।
चित्रकूट में 12 वर्षों तक रहे राम लक्ष्मण और सीता
जब भगवान श्रीराम सीता और लक्ष्मण अपने वनवास के लिए अयोध्या से निकले तो वनवास के पहले 12 वर्ष चित्रकूट में ही बिताए। इसके बाद राम लक्ष्मण और सीता पंचवटी पहुंचे। यहीं से भगवान राम ने अगले दो सालों में भगवान राम ने कई लोगों का उद्धार किया कई रक्षसों का वध किया और लंका पर चढ़ाई के लिए समुद्र सेतु का निर्माण भी किया।
चित्रकूट का श्रीराम और श्रीकृष्ण से क्या संबंध?
अपने वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम ने चित्रकूट के कामद गिरि में 12 साल बिताए थे। भगवान राम यहां पर शालिग्राम की पूजा किया करते थे। जब त्रेता युग पूरा हो गया और द्वापर युग अपने चरम पर आया तो चित्रकूट के इसी कामदगिरी पर्वत पर भगवान श्रीकृष्ण ने वास किया। भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार हैं। भगवान कृष्ण द्वापर युग में बांके बिहारी कहलाए। आज भी देशभर से लाखों श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर में जाते हैं।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 14 January 2024 at 14:10 IST