अपडेटेड 27 October 2025 at 16:56 IST
Chhath Puja 2025: शाम में क्या है सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त, सुबह का टाइम भी नोट कर लीजिए, पूरा अपडेट
Chhath Puja arghya time 2025: नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व खरना के बाद आज तीसरे दिन शाम के अर्घ्य पर पहुंच चुका है। आज इस मौके पर व्रती निर्जला व्रत करती हैं और शाम में छठ घाट समेत अन्य जल वाले स्थान से डूबते (अस्त) होते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। अब अर्घ्य के शुभ मुहूर्त की बात करते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Chhath Puja arghya time 2025: बिहार समेत देश के कई राज्यों और हिस्सों में मनाए जा रहे महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है। इस खास अवसर पर आज शाम में छठ व्रती छठी मईया की पूजा करने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे। कहा जाता है कि छठ पूजा दुनिया का एक मात्र ऐसा पर्व है जिसमें उगते हुए सूर्य से पहले डूबते हुए सूर्य की भी पूजा की जाती है और अर्घ्य दिया जाता है।
आज इस खास मौके पर लोग विभिन्न नदियों, तालाबों और छठ घाटों पर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। हालांकि, कई लोग अपने घरों पर ही पूजा करते हैं और कृत्रिम छठ घाट बनाकर वहीं से भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं। इस अर्घ्य को देने के लिए शुभ मुहूर्त का भी ध्यान रखा जाता है। आइए जानते हैं कि शाम के साथ सुबह में भी भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त क्या है...
छठ पर्व पर शाम में सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व खरना के बाद आज तीसरे दिन शाम के अर्घ्य पर पहुंच चुका है। आज इस मौके पर व्रती निर्जला व्रत करती हैं और शाम में छठ घाट समेत अन्य जल वाले स्थान से डूबते (अस्त) होते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
अब अर्घ्य के शुभ मुहूर्त की बात करते हैं। पंचांग के अनुसार, आज संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त शाम 5:14 बजे से 5:45 बजे तक रहेगा।
छठ पर्व पर सुबह में सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
संध्या अर्घ्य के बाद अगली सुबह यानी छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्य को उषा अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रती अपना व्रत पारण करते हैं और छठ पूजा संपन्न होती है। दृग पंचांग के अनुसार, छठ पर्व के चौथे दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर होगा। उसके साथ भागवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है।
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नहाय खाय से लेकर उषा अर्घ्य के बारे में
- दृग पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का पर्व भगवान सूर्य को समर्पित है। छठ पूजा के चार दिनों में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। छठ पूजा का व्रत मुख्य रूप से स्त्रियां अपने पुत्रों की कुशलता एवं परिवार की प्रसन्नता के लिए करती हैं। सूर्य देव की पूजा चार दिनों तक की जाती है।
- छठ के प्रथम दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र जल में, विशेषतः गंगा नदी में डुबकी लगाई जाती है। छठ व्रत का पालन करने वाली स्त्रियां इस दिन केवल एक समय भोजन करती हैं।
- छठ के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला व्रत किया जाता है। सूर्यास्त के तुरंत पश्चात, सूर्य देव को भोजन अर्पित करने के उपरान्त व्रत का पारण किया जाता है। दूसरे दिन प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात तीसरे दिन का व्रत आरंभ होता है।
- छठ पूजा के तीसरे मुख्य दिवस पर सम्पूर्ण दिन निर्जला व्रत किया जाता है। अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देना इस दिन का प्रमुख अनुष्ठान होता है। तीसरे दिन का उपवास पूर्ण रात्रि पर्यन्त रहता है तथा अगले दिन सूर्योदय के उपरान्त पारण किया जाता है।
- छठ के चौथे एवं अंतिम दिवस पर, उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया जाता है तथा इसे उषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात, 36 घण्टे का उपवास पूर्ण किया जाता है। छठ पूजा को प्रतिहार, डाला छठ, छठी तथा सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 27 October 2025 at 16:32 IST