अपडेटेड 22 October 2025 at 18:05 IST

Chhath Puja 2025: छठ महापर्व में सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं तो छठी मैया की पूजा क्यों करते हैं?

Chhath Puja 2025: हिंदू धर्म में छठ पूजा का विशेष विधान है। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए रखा जाता है। अब ऐसे में सवाल है कि जब छठ पूजा के दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं तो छठी मैया की पूजा क्यों की जाती है? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Chhath Puja 2025
Chhath Puja 2025 | Image: Instagram

Chhath Puja 2025: भारत के सबसे कठिन और पवित्र व्रतों में से एक, छठ महापर्व मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। इस दौरान व्रती महिला और पुरुष सूर्य को अर्घ्य देकर उनसे अपनी संतान और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। लेकिन, आपने अक्सर देखा होगा कि इस पूजा में जितना महत्व सूर्यदेव को दिया जाता है, उतना ही छठी मैया को भी दिया जाता है। क्या आपके मन में कभी सवाल आया है कि जब हम प्रत्यक्ष रूप से सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं, तो फिर छठी मैया की पूजा क्यों करते हैं? आखिर छठी माता कौन हैं और उनका सूर्यदेव से क्या संबंध है?

आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि कौन हैं ये छठी मैया और उनका सूर्य देव से क्या संबंध है?

कौन हैं छठी मैया?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया को 'षष्ठी देवी' के नाम से भी जाना जाता है। ये प्रकृति का छठा अंश और ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं। यह भी माना जाता है कि वह भगवान सूर्य की बहन हैं। उन्हें संतान और आयु की देवी माना गया है। नवरात्रि के दौरान पूजी जाने वाली षष्ठी देवी भी यही हैं। इनका मुख्य काम संतान की रक्षा करना और उन्हें दीर्घायु प्रदान करना है।

सूर्य को अर्घ्य लेकिन छठी मैया का पूजा क्यों?

छठ पर्व सूर्यषष्ठी व्रत है, जिसमें सूर्य देव और षष्ठी देवी दोनों की एक साथ पूजा की जाती है। इस पूजा में छठी मैया और सूर्य देव का संबंध माता और पुत्र या भाई और बहन जैसा है, जिसमें दोनों का महत्व एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है।

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छठ का व्रत मुख्य रूप से संतान की सुख-समृद्धि, सफलता और लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इस संदर्भ में छठी मैया को 'संतान की देवी' के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि छठी मैया की पूजा करने से बच्चों को स्वास्थ्य और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। कई मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया को सूर्य देव की शक्ति का एक स्वरूप माना जाता है। सूर्य देव सृष्टि के पालनकर्ता और ऊर्जा के स्रोत हैं, लेकिन उनकी शक्ति को पूजने के लिए उनकी बहन या शक्ति स्वरूपा देवी का पूजन भी आवश्यक हो जाता है।

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एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियंवद संतानहीनता से दुखी थे। महर्षि कश्यप के कहने पर उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया, लेकिन जब रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ, तो वह अत्यंत दुखी होकर आत्महत्या करने लगे। उसी समय, ब्रह्मा जी की मानस पुत्री षष्ठी देवी प्रकट हुईं और उन्होंने राजा को छठी मैया की पूजा करने का उपदेश दिया। देवी के आशीर्वाद से राजा को तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ। इसी कारण संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु के लिए छठ पर्व में छठी मैया का पूजन अनिवार्य माना गया। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्रती जातक छठ पूजा करते हैं, उन्हें संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है।

Published By : Aarya Pandey

पब्लिश्ड 22 October 2025 at 18:05 IST