अपडेटेड 16 July 2024 at 18:08 IST

Chaturmas 2024: कल से शुरू हो रहा है चातुर्मास, बंद हो जाएंगे ये काम; जानें क्या करें और क्या नहीं

चातुर्मास में कई सारे कामों पर प्रतिबंध लग जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि यह कब से शुरू हो रहा है, कितने दिन का होता है और इन दिनों में क्या नहीं करना चाहिए।

Chaturmas
चातुर्मास में कौन से काम नहीं करने चाहिए? | Image: Freepik

Chaturmas Me Kya Kare Kya Nahi: हिंदू धर्म में चातुर्मास (Chaturmas) का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है। यह चार महीनों को मिलाकर बनता है। इसकी शुरुआत आषाढ़ माह (Ashadh Maah) के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से होती है, जो कार्तिक माह के देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) तक चलता है। इस दौरान सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह जैसे कई महत्वपूर्ण हिंदी महीनें पड़ते हैं। बावजूद इसके इन दिनों में कई कार्यों की मनाही होती है। तो चलिए जानते हैं कि इसकी शुरुआत कब से हो रही है और इसका समापन कब होगा साथ ही चातुर्मास के दौरान कौन से काम नहीं करने चाहिए।

हर साल चातुर्मास (Chaturmas 2024) की शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) से होती है। दरअसल, इस दिन से जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु 4 महीनों के लिए शयनकाल में चले जाते हैं, जिसे चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। इस साल इस माह की शुरुआत 17 जुलाई दिन बुधवार से हो रही है। जिसका समापन 12 नवंबर दिन मंगलवार को देवउठनी एकादशी पर होगा। ऐसे में इस दौरान कुछ कामों को करने की विशेष तौर से मनाही होती है। आइए जानते हैं कि चातुर्मास (Chaturmas Date) में कौन से काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए।

चातुर्मास में कौन से काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए?

4 महीनों को मिलाकर बना चातुर्मास (Chaturmas Niyam) बहुत ही खास होता है, लेकिन इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सभी शुभ कार्यों की शुरुआत जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु की पूजा से होती है और वह इस दौरान शयनकाल में होते हैं। इसलिए शुभ और मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। इसमें मुंडन, जनेऊ संस्कार, गृहप्रवेश, सगाई और विवाह जैसे कार्य वर्जित होते हैं।  

चातुर्मास में क्या करें?

धार्मिक मान्यता है कि चातुर्मास (Chaturmas) की शुरुआत के साथ ही जितना हो सके उतना पूजा-पाठ और दान-पुण्य का काम करना चाहिए। इन दिनों में सुदंर कांड, गीता या रामायण का पाठ और तुलसी पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसे में चातुर्मास के दौरान धर्म-कर्म जैसे कामों को करना चाहिए।  

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 16 July 2024 at 18:08 IST