अपडेटेड 9 January 2024 at 21:17 IST
तो क्या चीन को खुश करने के लिए मालदीव के मंत्री ने दिया अपमानजनक बयान... सवालों में घिरे मुइज्जू!
Maldives News: क्या चीन को खुश करने के लिए मुइज्जू भारत से बैर ले रहे हैं? उनके चीन दौरे से ये सवाल जोर-शोर से उठने लगे हैं।
- विचार एवं विश्लेषण समाचार
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Maldives News: मालदीव के नेताओं के अपमानजनक बयान के बाद राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के दौरे पर निकल गए। बात यहीं पर खत्म नहीं हुई। उन्होंने इस अंदाज में चीन की तारीफ की जैसे भारत पर निशाना साध रहे हो। उन्होंने चीन को अपना सबसे भरोसेमंद सहयोगी बताया। अब ऐसे में दुनियाभर में ये सवाल उठने लगे कि क्या सोमवार, 8 जनवरी को चीन यात्रा पर निकले मुइज्जू चीन को खुश करने के लिए भारत से बैर लेने की कोशिश कर रहे हैं।
स्टोरी की खास बातें
- 5 दिनों के चीन दौरे पर हैं मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू
- मुइज्जू ने चीन को बताया अपना सबसे भरोसेमंद सहयोगी
- जानिए क्यों उठने लगे हैं उनके दौरे पर सवाल
5 दिनों के चीन दौरे पर हैं मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू
चीन दौरे के पहले दिन मुइज्जू ने कम्युनिकेशन कंस्ट्रक्शन कंपनी (CCCC) के सीनियर अधिकारियों से मुलाकात की। इस मुलाकात पर चर्चा इसलिए शुरू हो गई, क्योंकि इस दौरान मुइज्जू ने चीन के तारीफों के पुल बांध दिए। उन्होंने मालदीव के विकास का पूरा श्रेय चीन को दे दिया और कहा कि मालदीव की विकास यात्रा में चीन उनका सबसे बड़ा सहयोगी है।
सवालों के घेरे में मुइज्जू का चीन दौरा
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन के अनुसार, चीन और मालदीव पुरानी दोस्ती का दावा करते हैं। राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से पिछले 52 वर्षों में दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया है और एक-दूसरे का समर्थन किया है, जिससे विभिन्न आकार के देशों के बीच समानता और पारस्परिक लाभ का एक अच्छा उदाहरण स्थापित हुआ है।
कुर्सी के साथ देश के पैसे भी ले डूबेगी मुइज्जू सरकार?
चीन के साथ गाढ़ी मित्रता कभी किसी देश के लिए फायदेमंद नहीं रही है। चीन ने पहले ही श्रीलंका और पाकिस्तान की हालत खराब कर दी है और अब उसके निशाने पर मालदीव आ गया है। मालदीव सरकार भी चीन को अपना सच्चा मित्र मानकर उससे खूब प्रभावित दिख रही है। हालांकि, उसे अभी अंदाजा नहीं है कि वो किस जाल में फंस रहा है। आपको बता दें कि चालबाज ड्रैगन अक्सर आर्थिक रूप से दूसरों पर निर्भर देशों के ऊपर कर्ज जाल फेंकता है, जिसमें वो फंस जाते हैं और फिर उनकी बर्बादी शुरू हो जाती है। चीन ने ऐसा ही श्रीलंका और पाकिस्तान के साथ किया। पहले चीन ने श्रीलंका को कर्ज दिया और देखते ही देखते श्रीलंका इस कर्ज की बोझ तले दब गया। ड्रैगन ने ठीक ऐसा ही पाकिस्तान के साथ किया। पाकिस्तान भी चीन के दिए हुए कर्ज में डूबा हुआ है। चीन पाकिस्तान में अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना चीन-पाकिस्तान (China-Pakisitan) आर्थिक गलियारा बना रहा है। इसके लिए भी पाकिस्तान चीन के एहसानों तले दबा हुआ है। उसके हालात कंगाली वाले हैं। आर्थिक सहायता के लिए उसे दूसरे देशों के सामने हाथ फैलाना पड़ता है। अब ऐसा लग रहा है कि मालदीव की भी हालत ऐसी ही होने वाली है।
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Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 9 January 2024 at 21:17 IST