अपडेटेड 28 June 2024 at 14:33 IST

इमरजेंसी पर तूफान, कभी विरोध करने वाली पार्टियां क्यों हुईं गोलबंद? मजबूरी या INDI की स्ट्रैटजी

इमरजेंसी भारतीय लोकतंत्र के माथे पर लगा ऐसा दाग जिसे बरसों बाद भी कांग्रेस धो नहीं पाई है। हैरान करने वाली बात ये है कि जो तब विरोध में थे वो आज साथ क्यों हैं?

opposition on emergency
इमरजेंसी पर विपक्ष लामबंद क्यों? | Image: social media/collage (Republic)

Emergency Row:  जिस इमरजेंसी को लेकर उस दौर में केन्द्र की तानाशाही के खिलाफ विभिन्न दलों ने आवाज बुलंद की उनमें से कई अब उसी पार्टी की आइडियोलॉजी के साथ खड़े दिखते हैं। इनमें राजद, सपा जैसे दल शामिल हैं। ये आज इंडी अलायंस का अंग है जिसमें बड़े भाई का किरदार कांग्रेस निभा रही है।  क्या ये मजबूरी है या फिर स्ट्रैटजी का हिस्सा

पिछले डेढ़ दशक में बीजेपी का रसूख बढ़ा है। इतना कि क्षेत्रीय पार्टियां सिमटती जा रही हैं। लोगों के विश्वास का ही नतीजा है कि लगातार तीसरी बार एनडीए की सरकार बनी है।

लालू प्रसाद यादव डिफेंसिव हो गए

संविधान में बदलाव के मुकाबले इमरजेंसी इन दिनों काफी चर्चा में है। प्रधानमंत्री ने 18वीं लोकसभा में ओम बिरला के संबोधन बाद कहा कि आपातकाल को काले दिवस के रूप में याद किया जाना चाहिए। उनके इस कथन पर कांग्रेस ने रिएक्ट किया। अपना रोष जताया। बाद में स्पीकर ओम बिरला से आपत्ति भी दर्ज कराई। इंडी अलायंस के उनके साथी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सवाल दागा कि हम कब तक अतीत की ओर देखते रहेंगे? लालू प्रसाद यादव ने भी अपनी राय रखी और अपने योगदान को बड़ा बताने का प्रयास किया। बोले- मैं मीसा के तहत 15 महीने जेल में रहा और मैंने तो कभी भी मोदी, नड्डा जैसे लोगों का नाम नहीं सुना।

ये पार्टियां क्यों नहीं खिलाफ?

सवाल यही उठता है कि जब लालू अतीत के उस घटनाक्रम को लोकतंत्र पर प्रहार मानते हैं तो फिर इंडी अलायंस का हिस्सा क्यों हैं? मजबूरी के पीछे कहीं अपनी जमीन बचाने की ललक तो नहीं! जो बच गया है उसे बचाए रखने की जद्दोजहद तो इसकी वजह नहीं या एक मुद्दे पर सपोर्ट के बदले अपने क्षेत्र में दखलअंदाजी करने से रोकने की मंशा तो नहीं? ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि क्योंकि भाजपा खुद को उस दौर में हुई ज्यादतियों के खिलाफ अलख जलाने वाली ध्वजवाहक साबित करने में जुटी है।

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भाजपा ने सत्ता के लिए अपने प्रमुख दावेदार कांग्रेस के खिलाफ आपातकाल को अपने सबसे मजबूत हथियारों में से एक के रूप में इस्तेमाल करना जारी रखा है। 19 महीने तक चला आपातकाल नागरिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों के सवाल पर कांग्रेस पर एक धब्बा बना हुआ है, और भाजपा ने इसका बार-बार इस्तेमाल करके कांग्रेस - और खासकर गांधी परिवार को - सहज रूप से सत्तावादी के रूप में पेश किया है। क्या ये भी एक कारण है सपा और राजद के इमरजेंसी वाले तूफान से दूर रहने का! क्योंकि गाहे बगाहे इन दोनों ही पार्टियों पर परिवारवाद की अमर बेल को बढ़ाने और पोषित करने का आरोप लगता रहा है।

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गिरिराज ने छेड़ा तो अखिलेश ने लोकतंत्र रक्षक सेनानियों का राग अलापा

हाल ही में सांसद गिरिराज सिंह ने अखिलेश पर तंज कसा था। केंद्रीय मंत्री ने कहा था- अखिलेश यादव के पिताजी जेल में थे, लालू यादव की बेटी का नाम ही मीसा है, वे मीसा के तहत बंद थे... ये आज सोचने का विषय है कि कांग्रेस कभी अपने आदत से बाज नहीं आने वाली है.. 1975 में जो इमरजेंसी लगा ये आज के नौजवानों को जानना जरूरी है। इस पर अखिलेश ने जवाब भी दिया। बिना नाम लिए उन्होंने कहा- बीजेपी के लोगों ने आज जो (संसद में) कुछ किया है, वो दिखावा किया है, ऐसा नहीं है कि उस दौरान वही जेल गए हों... समाजवादी पार्टी और दूसरी पार्टी के लोगों ने भी उस समय को देखा है... हम पीछे मुड़कर कितना देखेंगे, अतीत को कितना देखें, भविष्य हमारे सामने क्या है... लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को समाजवादियों ने सम्मान दिया था बीजेपी ने निधि को कम किया , बढाया नहीं है।

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 28 June 2024 at 13:56 IST