अपडेटेड 8 May 2024 at 22:46 IST
विरासत कर, फिर नस्लीय टिप्पणी से कांग्रेस की पिटवाई भद्द... सैम पित्रोदा ने दबाव में दिया इस्तीफा?
Sam Pitroda resigns: विरासत कर और फिर नस्लीय टिप्पणी से विवादों में आए सैम पित्रोदा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
- विचार एवं विश्लेषण समाचार
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Sam Pitroda resigns: अपने बैक-टू-बैक बयानों से विवादों में फंसे सैम पित्रोदा ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए पित्रोदा के इस्तीफे की पुष्टि की। हालांकि, उनके बयानों को लेकर कांग्रेस ने अपनी ओर से कोई कदम नहीं उठाया और सैम पित्रोदा के इस्तीफे का ऐलान भी इस तरीके से किया गया, जिससे साफ-साफ ऐसा लगा जैसे उनपर कोई दबाव बनाया गया हो।
नस्लीय टिप्पणी से कांग्रेस की पिटवाई भद्द
सबसे पहले ये जानते हैं कि सैम पित्रोदा ने क्या-क्या कहा। असल में, पित्रोदा का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें वो भारतीय लोगों के रंग-रूप को लेकर विवादित बयान देते नजर आ रहे हैं। ये कहते हुए नजर आ रहे हैं कि भारत के पूर्व में रहने वाले चीनी साउथ में रहने वाले अफ्रीकन जैसे लगते हैं। वो कहते हुए दिखे- 'भारत जैसे विविधता वाले देश में सभी एक साथ रहते हैं। यहां पूर्व के लोग चीन के लोगों जैसे, पश्चिम में रहने वाले अरब जैसे दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकी जैसे दिखते हैं। हम सभी भाई-बहन हैं।'
इससे पहले सैम पित्रोदा की 'विरासत कर कानून' वाली टिप्पणी ने भारत में नया विवाद खड़ा कर दिया था। पित्रोदा ने कहा था- 'अमेरिका में विरासत कर लगता है। अगर किसी के पास 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है, तो वह संभवतः 45 प्रतिशत अपने बच्चों को ट्रांसफर कर सकता है और 55 प्रतिशत सरकार हड़प लेती है। यह एक दिलचस्प कानून है। यह कहता है कि आपने, अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब आप जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए, पूरी नहीं, आधी, जो मुझे उचित लगती है।'
आपको बता दें कि विरासत कर मृत लोगों की प्रॉपर्टी या धनराशि पर लगने वाला कर है। आसान सी भाषा में कहें तो, किसी इंसान की मौत होने के बाद विरासत में जो आपको प्रॉपर्टी मिलती है, उसपर जो कर लगाया जाता है, उसे विरासत कर कहा जाता है। टैक्स फाउंडेशन की मानें तो संपत्ति और विरासत कर आपस में समान है। ये दोनों ही कर मृत्यु के बाद लगाए जाते हैं। कांग्रेस नेता इसे ही वापस लागू करने की बात कह रहे थे।
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क्या पित्रोदा ने दबाव में दिया इस्तीफा?
इससे पहले जिस पुलवामा हमले ने पूरे देश को दहला कर रख दिया था, उसपर भी उन्होंने कहा था कि हमले तो हमेशा होते रहते हैं। राम मंदिर के निर्माण पर उन्होंने कहा था कि मंदिर बनने से लोगों को नौकरियां नहीं मिलेंगी। इतना ही नहीं, सैम पित्रोदा ने तो ये तक कह दिया था कि संविधान बनाने में अंबेडकर से ज्यादा जवाहर लाल नेहरू ने योगदान दिया था।
इससे ये तो साफ है कि सैम पित्रोदा के लिए विवादास्पद बयान देना कोई नई बात नहीं है। हालांकि, नस्लवादी बयान उन्होंने ऐसे वक्त पर दिया है जब पूरे देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। कांग्रेस पहले ही देश में आखिरी सांस लेती हुई दिखाई पड़ रही है। ऐसे में ये बयान उनके पोर्टफोलियो के लिए काफी खतरनाक हो सकता है। असल में, ये बयान सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि इंडी गठबंधन के एक-एक सदस्य के लिए बुरा साबित हो सकता है। ऐसे में इस बात का अंदाजा आम ही लगाया जा सकता है कि इंडी गठबंधन के सदस्यों की ओर से उठ रहे दबाव ने ही 'अंकल सैम' को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। आपको बता दें कि अभी आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी बयान जारी करते हुए कहा था कि इंडी गठबंधन सैम पित्रोदा के बयान का समर्थन नहीं करता है।
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Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 8 May 2024 at 22:46 IST