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Published 17:20 IST, September 29th 2024

नकारात्मक भावनाओं से निपटने के लिए भोजन का इस्तेमाल कैसे रोक सकते हैं?

क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि जब आप उदास, ऊबे हुए या चिंतित होते हैं तो आपकी खान-पान की आदतों में कोई बदलाव आता है? कई लोगों का कहना है कि जब वे परेशानी में होते हैं तो इससे निपटने में मदद के लिए वे अधिक या कम खाना खाते हैं।

Australian on Indian Food
Australian on Indian Food | Image: X

Lifestyle News: क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि जब आप उदास, ऊबे हुए या चिंतित होते हैं तो आपकी खान-पान की आदतों में कोई बदलाव आता है? कई लोगों का कहना है कि जब वे परेशानी में होते हैं तो इससे निपटने में मदद के लिए वे अधिक या कम खाना खाते हैं।

यद्यपि यह एक बहुत ही सामान्य प्रतिक्रिया है लेकिन इससे खाने का आनंद खत्म हो सकता है और यह कष्टकारी हो सकता है तथा शर्म एवं आत्म-आलोचना की अन्य भावनाएं भी पैदा कर सकता है। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां आहार संस्कृति अपरिहार्य है और खाने, भोजन एवं शरीर की छवि के साथ हमारा रिश्ता जटिल और भ्रामक हो सकता है।

भावनात्मक भोजन आम बात है

भावनात्मक रूप से भोजन तब होता है जब आप मुश्किल भावनाओं से निपटने के लिए खाना खाते हैं। शोध से पता चलता है कि लगभग 20 प्रतिशत लोग नियमित रूप से भावनात्मक रूप से भोजन करते हैं। किशोरों और महिलाओं में इसका प्रचलन अधिक है। पंद्रह सौ से अधिक किशोरों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 34 प्रतिशत किशोर उदास होने पर भावनात्मक रूप से भोजन करते हैं जबकि 40 प्रतिशत किशोर चिंतित होने पर भावनात्मक रूप से भोजन करते हैं।

जब आप तनाव में हों, आपका मूड खराब हो या आप अपने बारे में बुरा महसूस कर रहे हों तो वसा, चीनी और नमक से भरपूर खाद्य पदार्थ आपकी रुचि बढ़ा सकते हैं। खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ अक्सर ‘फास्ट-फूड’ और अन्य ऊर्जा पोषक तत्वों से रहित खाद्य पदार्थ होते हैं।

तनाव, तीव्र भावनाएं और अवसाद

कुछ लोगों के लिए भावनात्मक रूप से भोजन करना जीवन में पहले से बनी एक आदत मात्र है, जो समय के साथ बनी रहती है। लेकिन अन्य कारक भी भावनात्मक रूप से भोजन करने की संभावना में योगदान कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए तनाव और तीव्र भावनाओं के शारीरिक प्रभाव कॉर्टिसोल, इंसुलिन और ग्लूकोज जैसे हार्मोनों को प्रभावित कर सकते हैं जिससे भूख भी बढ़ सकती है। अवसाद, चिंतन करने की प्रवृत्ति और भावनाओं को नियंत्रित करने में कठिनाई भी भावनात्मक रूप से भोजन की संभावना को बढ़ाती है।

तो आप क्या करते हो?

सबसे पहले, जान लें कि खाने में उतार-चढ़ाव होना सामान्य बात है। हालांकि, अगर आपको लगता है कि किसी परेशानी में आप जिस तरह से खाते हैं, वह आपके लिए काम नहीं कर रहा है तो कुछ चीजें हैं जो आप कर सकते हैं। छोटी-छोटी चीजों से शुरुआत करें जो प्राप्त करने योग्य हों, जैसे पर्याप्त नींद लेना और नियमित रूप से भोजन करना।फिर, आप इस बारे में सोचना शुरू कर सकते हैं कि आप अपनी भावनाओं और भूख के संकेतों को कैसे संभालते हैं।अपनी भावनात्मक जागरूकता का विस्तार करें

अक्सर हम भावनाओं को अच्छा या बुरा करार देते हैं। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि आप इस भावना को पहचानें। खाने का सहज तरीका विकसित करना स्वस्थ भोजन व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए एक और उपयोगी रणनीति है। खाने की यह शैली हमें दोस्तों के साथ बाहर खाने का आनंद लेने और यात्रा करते समय स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेने की भी अनुमति देती है।

यह आपके खाने की आदतों पर नियंत्रण न होने और इससे जुड़ी नकारात्मक शारीरिक छवि से होने वाले मनोवैज्ञानिक तनाव को भी कम कर सकता है। कुछ लोगों के लिए, भोजन, खानपान और व्यक्ति के विचार और व्यवहार उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। मित्रों और परिवार का सहयोग, ऑनलाइन संसाधनों तक पहुंच और कुछ मामलों में प्रशिक्षित पेशेवर से मिलना बहुत मददगार साबित हो सकता है।

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देवेंद्र नरेश

नरेश

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं।  REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

Updated 17:20 IST, September 29th 2024