अपडेटेड 5 June 2025 at 15:52 IST
Lifestyle News: अक्सर जब हम अपने घरों से कहीं बाहर जाने के लिए निकलते हैं तो पत्नियां एक सवाल पूछती हैं कि घर कब आओगे? आखिरकार पत्नियां ये सवाल क्यों पूछती हैं? ये जिज्ञासा हर किसी के मन में रहती है लेकिन कोई उस समय पलटकर नहीं पूछता है कि क्यों पूछ रही हो? इस प्रश्न के लिए जब हमने इंटरनेट पर तलाश शुरू की तो इसका अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग जवाब दिया। नयी नवेली दुल्हन का यह पूछना! प्रेम सामिप्य को लेकर होता है। इस सवाल के जवाब में पत्नी का पति के प्रति प्रेम की गहराई और उसके प्रति मनोभाव भी छिपा होता है।
इस सवाल के जवाब में चिम्मन गुनानी नाम के ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि पत्नियों का अक्सर यह सवाल पूछना बेमतलब तो बिल्कुल नहीं कहा जा सकता बल्कि इस सवाल में कई सारे मतलब मनोभाव, मनोकांक्षाएं, प्रेम, सामिप्य अभिलाषा, और अधिकार सहित बहुत सारी बातें ख्वाहिशैं इसमें छुपी हुई होती है। अक्सर पत्नियां जब अपने पति से यह पूछती हैं, "कब आओगे?" तो यह सवाल केवल एक साधारण जिज्ञासा नहीं होता, बल्कि इसके पीछे कई गहरे अर्थ और भावनाएं छिपी होती हैं। ज्योतिष के जानकार चिम्मन गुनानी का मानना है कि इस सवाल को हल्के में लेना नासमझी होगी। उनके अनुसार, पत्नियों के इस सवाल में प्रेम, मनोभाव, अधिकार, सामिप्य की इच्छा और मनोकामनाएं सब कुछ समाहित होता है। यह सवाल अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग अर्थ रखता है। नवविवाहित दुल्हन जब यह पूछती है, तो उसके शब्दों में प्रेम और भावनात्मक निकटता की चाह होती है।
वहीं इंटरनेट के एक और यूजर राजबहादुर सिंह इस प्रश्न के सवाल के जवाब में कहते हैं, 'हर समझदार पत्नी की दिनचर्या में कहीं न कहीं पति की भूमिका केंद्र में होती है। चाहे बात चाय-पानी की हो या खाने के समय की वह अपने कामों की रूपरेखा पति के कार्यक्रम के अनुसार ही तय करती है। यह कोई अनोखी या असाधारण बात नहीं, बल्कि भारतीय पारिवारिक जीवन की सहज और स्वाभाविक परंपरा है। एक बुजुर्ग के तौर पर राजबहादुर अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं, 'जब मेरी पत्नी थीं, तो वह मेरे उठने, खाने, चाय पीने तक का समय मेरे रोज़मर्रा के कामों के हिसाब से तय करती थीं। अब मेरी पुत्रवधु, मेरे बेटे की दिनचर्या के अनुसार घर के कामों को संचालित करती है।'
उन्होंने आगे बताया कि इस व्यवहार के पीछे कोई रहस्य नहीं छुपा होता है। यह प्रेम, सहयोग और रिश्तों के प्रति समझदारी का परिणाम होता है। जब पति देर से आए, तो कामों को उसी के अनुरूप ढाल लिया जाता है। यह समन्वय ना तो किसी औपचारिक समझौते से होता है, और ना ही किसी विशेष योजना से, बल्कि यह साथ रहते-रहते अपने आप आ जाने वाली समझ और अपनत्व का हिस्सा बन जाता है। हर पत्नी यह बात आसानी से बता सकती है कि यह सब कुछ सिर्फ जिम्मेदारी या ड्यूटी नहीं, बल्कि रिश्ते में सामंजस्य और आत्मीयता का प्रतीक है। यह कोई बड़ी या अनोखी बात नहीं यह सामान्य लेकिन गहरे रिश्तों की सामान्य सी खूबसूरती है।'
पब्लिश्ड 5 June 2025 at 15:52 IST